इस समय देश मे तैयारी करने वालो छात्रों की जो दुर्दशा है वो किसी से छुपी नही है। क्या केंद्र सरकार हो क्या राज्य सरकारे कोई भी इन छात्रों की तरफ देखना ही नही चाहता है।
एक छात्र सालों साल नौकरी की तैयारी करता है और अगर एग्जाम पास भी कर ले तो उसे सालो साल नियुक्ति के लिए तरसाया जाता है, इसी में 4-5 साल निकल जाते है।
ऐसा ही कुछ हाल इस समय इलाहाबाद हाई कोर्ट उत्तर प्रदेश सिविल कोर्ट स्टाफ केंद्रीकृत भर्ती 2018-19 ग्रुप C , D तथा स्टेनोग्राफर ग्रेड III की भी है।
इसका विज्ञापन दिसंबर 2018 में आया जिसके बाद जनवरी 2019 में परीक्षा कराई गई और 10 मई 2019 को फाइनल रिजल्ट दे दिया गया।
उसके बाद नवंबर 2019 में छात्रों को जिला आवंटित कर दिया गया, जिसमे कुछ छात्रों को नियुक्ति प्रदान कर दी गयी जिला न्यायालयों द्वारा तथा शेष छात्रों को ये कहते हुए नियुक्ति नही दी गयी कि यहाँ पर इतने पद उपलब्ध नही है आप लोग हाई कोर्ट से समपर्क करिए आप लोगो का पुनः जिला आवंटन किया जाएगा।
नवंबर से लेकर अभी तक 8 महीने बीत गए लेकिन इन छात्रों का कोई सुध लेने वाला नही है। हाई कोर्ट द्वारा भी इन छात्रों की जोइनिंग को लेकर कोई ठोस आश्वासन नही दिया जाता,है।
कोरोना के कारण इन छात्रों की स्थिति पहले से ही काफी दयनीय है और अब नियुक्ति न मिलने के कारण ये मानसिक रूप से भी काफी प्रताड़ित हो रहे है।
यह आर्टिकल उत्तर प्रदेश सिविल कोर्ट स्टाफ केंद्रीकृत भर्ती में चयनित हुए शिवांश दुबे ने लिखा है। शिवांश को अभी तक जिला आवंटित नहीं किया गया है। प्रशासन उन्हें ‘अभी उतने पद न खाली होने’ की बात कहकर पिछले 8 महीनों से अधर में लटकाये हुए है।
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