दिल्ली सरकार के DDU अस्पताल में 116 पदों पर डॉक्टर की भर्ती में सामान्य वर्ग को शून्य सीट मिली

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सरकारी अस्पताल में निकाली गई रेजिडेंट डॉक्टर के 116 पदों की भर्ती में एक भी पद सामान्य वर्ग के लिए नहीं रखे गए है। नोटिफिकेशन जारी होने के कुछ दिन बाद जब यह सोशल मीडिया पर छाया तो सामान्य वर्ग के लिए एक भी पद न होने पर हंगामा हो गया। जिसके बाद संस्था युथ फॉर इक्वलिटी ने इस आदेश को कोर्ट में चैलेंज का मन बनाया है।

दरअसल दिल्ली सरकार के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में 7 जुलाई 2020 को कुल 116 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के पदों की भर्ती निकाली गई थी।

जिसमे से 53 पद ओबीसी के लिए, 28 एससी, 15 एसटी व 20 पद आर्थिक रूप से पिछड़े लोगो के लिए रखी गई है लेकिन एक भी पद सामान्य वर्ग के लिए नहीं रखा गया है।

जिसको लेकर कई डॉक्टर ने आपत्ति जताई है। वहीं जाने माने सर्जन डॉ कौशल कांत मिश्रा ने हमसे बातचीत में बताया कि यह नियम सामान्य अवसरों पर आघात करने जैसा है। सरकार इस तरह से कोई भी वैकेंसी नहीं निकाल सकती है। आगे डॉ कौशल ने बताया कि उनकी संस्था यूथ फॉर इक्वलिटी जल्द ही इसे कोर्ट में चैलेंज करने जा रही है।

आपको बता दे कि इससे पहले भी यूपी सरकार में भी लेक्चरर के पदों पर 80 प्रतिशत तक आरक्षित श्रेणी से आने वाले अभियर्थियों का चयन हो गया था जिससे सामान्य वर्ग के अभियर्थियों ने इसे लेकर चिंता जाहिर करी थी।

पिछले कई वर्षो से मात्र 15 से 20 प्रतिशत ही सामान्य वर्ग के छात्रों का हो रहा है चयन
सरकारी नौकरियों में निकाली जा रही वैकेंसी पर पिछले कुछ वर्षो से यह देखा जा रहा है कि सामान्य वर्ग के अवसरों में बेहद कमी आई है।

दरअसल पहले से तय आरक्षण के बावजूद आरक्षित श्रेणी के अभियर्थी सामान्य सीटों पर भी अपना कब्ज़ा जमा ले रहे है जिससे सामान्य वर्ग को मात्र 15 से 20 प्रतिशत सीट पर ही संतोष करना पड़ रहा है।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!

 

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