नई दिल्ली: सरकार ने संसद में कहा कि कुछ समय से कश्मीरी पंडितों ने स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस किया है।
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बताया कि जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा वर्ष 1990 में स्थापित राहत कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे 44,167 कश्मीरी प्रवासी परिवार पंजीकृत जिनको सुरक्षा कारणों की वजह से वर्ष 1990 से घाटी छोड़ना पड़ा था। इनमें से, पंजीकृत प्रवासी हिंदू परिवारों की संख्या 39,782 है।
मंत्रालय ने कहा कि हाल में, कुछ समय से कश्मीरी पंडितों ने स्वयं को ज्यादा सुरक्षित महसूस किया है, जो कि इस तथ्य से प्रमाणित होता है कि प्रधानमंत्री के पुनर्वास पैकेज के तहत 3841 कश्मीरी प्रवासी युवा कश्मीर वापस लौटे हैं तथा उन्होंने कश्मीर के विभिन्न जिलों में नौकरी पाई है।
अप्रैल, 2021 में इसी पैकेज के अंतर्गत, 1997 और अभ्यर्थियों को नौकरियों के लिए चुना गया है और वे शीघ्र ही कश्मीर चले जाएंगे। यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा कि 26684 कश्मीरी प्रवासी युवाओं ने जम्मू और कश्मीर चयन बोर्ड द्वारा दिसम्बर, 2020 में विज्ञापित उक्त 1997 पदों के लिए आवेद न करके घाटी में वापस जाने की रूचि दिखाई है।
सरकार ने कश्मीर वापस लौटे इन कश्मीरी प्रवासियों को रिहायशी आवास उपलब्ध कराने के लिए भी एक विस्तृत नीति तैयार की है। उनके लिए 6000 आवासीय इकाइयों का निर्माण तेज गति से किया जा रहा है। इन कर्मचारियों द्वारा 1000 आवासीय इकाइयों का उपयोग पहले से ही किया जा रहा है।
कश्मीरी पंडितों और डोगरा हिंदू परिवारों सहित ऐसे लगभग 900 परिवार कश्मीर में रह रहे हैं। जहां तक ऐसे व्यक्तियों का संबंध है, जिन्होंने कभी भी कश्मीर से प्रवास नहीं किया, सरकार ने उन्हें “कश्मीरी प्रवासियों हेतु नौकरी पैकेज” में शामिल करने की अनुमति दी है। इसके अलावा, उन्हें कश्मीर में दूसरों के साथ सरकारी स्कीमों के सभी लाभ मिल रहे हैं।
सरकार ने व्यक्तियों की जान और संपति की रक्षा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। इन कदमों में आतंकवादियों के विरुद्ध एहतियात के तौर पर ऑपरेशन, ओवर ग्राउंड वर्करों / आतंकवाद के समर्थकों की पहचान और उनकी गिरफ्तारी, प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों के विरुद्ध कार्रवाई, नाकों पर रात में पेट्रोलिंग – चैकिंग बढ़ाना, उपयुक्त तैनाती के माध्यम से सुरक्षा व्यवस्थाएं, आसूचना एजेंसियों के बीच समन्वय बैठकें, उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखना आदि शामिल है।