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मेवात दंगों में रोहिंग्या कनेक्शन: नूंह से मोहम्मद आमिर का सीक्रेट इंटरव्यू, उगले कई राज

हरियाणा के मेवात जिले के नूंह में भड़के हिन्दू विरोधी दंगो की आग ने जहां पूरे देश को झकझोर के रख दिया तो वहीं अभी भी मीडिया इन दंगो के मूलभूत कारणों और जिले में हिन्दुओं की बत्तर हालत को छुपा रहा है। इन्हीं वजहों को देखते हुए हमने नूंह जाकर ग्राउंड रिपोर्टिंग करने की ठानी। हमारा सफर कर्फ्यू लागू होने के चलते बहुत दिक्कतों से भरा रहा है। बल्लभगढ़ तक मेट्रो से पहुँचने के बाद हमने होडल तक बस का सफर तय किया। होडल के बाद नूंह तक जाने वाली रोड़ पर दूर दूर तक कोई वहां नहीं दिख रहा था। कई लोगों ने हमें खतरों की वजह से वापस लौट जाने की सलाह दी लेकिन हम किसी भी प्रकार से नूंह तक पहुंचना चाह रहे थे। इसी बीच हमने एक गाड़ी को रोका जो नूंह से 35 किलोमीटर दूर स्थित नांगल जाट गाँव तक जा रही थी। यहाँ पहुँचने के बाद हमें फिर घंटो तक कोई वाहन नहीं मिला। हमें परेशान देख एक ग्रामीण ने बिना नाम पूछे नूंह तक जाने के लिए अपनी बाइक दे दी। हम हैरान थे कि आखिर आज के समय में भी कोई कैसे किसी की इस हद तक मदद कर सकता है।

हालाँकि अब हमें नूंह तक आने के लिए एक बाइक मिल चुकी थी लेकिन उस व्यक्ति ने हमें चेताया कि रास्ते में कोई भी आपको रोक सकता है और नाम पूछने के बाद नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने बताया कि न ही कोई मुस्लिम हिन्दू इलाके में आ रहा है और न ही कोई हिन्दू मुस्लिम गांव में जा रहा है। ऐसे में आशंका है कि हमें देख कर कोई हमला कर दे। बता दें कि नांगल जाट से लेकर नूंह तक पड़ने वाले सभी गाँव मुस्लिम बाहुल्य गांव हैं। इसी बीच जरुरी सलाह के साथ हम नूंह के लिए बाइक पर रवाना हुए। बाइक से थोड़ी दूर ही हम चले थे कि हमें एक व्यक्ति ने रोकने का प्रयास किया लेकिन हम स्पीड बढाकर वहां से चलते बने। हमारे मन में डर तो था कि कहीं हम वापस भी न जा पाए।

वहाँ से आगे जाने पर हम एक पेट्रोल पंप पर तेल डलवाने पहुंचे जहां हमें एक डरा देने वाली सच्चाई से रूबरू कराया गया। पेट्रोल भरने वाले शख्स ने हमें सलाह दी कि हमें अपना कलावा और तुलसी माला को उतार लेना चाहिए जिससे हमें कोई परेशानी न हो पाए। हालांकि हमने इनमे से किसी भी सलाह को नहीं माना और आगे चल बढ़े। ऐसे ही गाँव से गुजरने के दौरान हमें घूरा गया जैसे हम किसी दूसरे देश में बिना पासपोर्ट के घुस रहे हो। कुछ दूर बाद ही हमें पुलिस नजर आने लगी जिससे हमारा साहस दोगुना हो गया। स्पीड को बढ़ाते हुए हम 35 किलोमीटर का सफर तय कर नूंह तक पहुँच गए जो महज पुलिस कर्मियों और रैपिड एक्शन फाॅर्स के जवानों से भरा था। दूर दूर तक कोई व्यक्ति नहीं दिख रहा था और दुकानों का शटर गिरा हुआ था।

बहुत गलियों में घूमते हुए हमें एक पहला व्यक्ति मिला जो बिना डरे यहाँ वहां घूम रहा था। रोकने पर हमारी उससे बातचीत हुई। बातचीत के दौरान उसने ऐसे खुलासा कर दिया जिसे सुनकर हमारे होश उड़ गए। दरअसल बातचीत करने वाला शख्स म्यांमार का रोहिंग्या मुस्लमान था जो नूंह में 2013 से रह रहा था। उसने बताया कि वह अवैध तरीके से भारत में दाखिल हुआ जिसमें उसकी मदद भारत से ही की गई। नूंह में ऐसे सैंकड़ों रोहिंग्या मुस्लमान अवैध तरीके से अपना घर बसा कर रह रहे हैं।

सिम कार्ड भारतीय मुसलमानों ने दी
म्यांमार में बात करने और भारत में ऑपरेट करने के लिए मोहम्मद आमिर को सिम और मोबाइल एक भारतीय मुस्लिम के आईडी पर दिया गया है। आमिर ने हमें बताया कि नूंह के ही एक उसके दोस्त ने अपनी आईडी पर उसे सिम दिलाई है। उसका पूरा परिवार अब मेवात में बस गया है। आमिर ने आगे कहा कि वह यहाँ पर मजदूरी करता है लेकिन उसने दंगो से जुड़ी जानकारी साझा करने से मना कर दिया।

6 घंटों तक चला पथराव
दंगों में फसे एक हिन्दू परिवार ने हमसे बातचीत में बताया कि घटना के दिन लड़ाई तब शुरू हुई जब विहिप की ‘बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा’ को नूंह में खेड़ला मोड़ के पास युवकों के एक समूह ने रोक दिया और जुलूस पर पथराव किया गया। उनके अनुसार पथराव तकरीबन 6 घंटे तक चला। इस बीच उन्हें लगा कि आज उनका बचना मुश्किल है। इस घटना में कुछ पुलिस वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गये। हरियाणा के विभिन्न जिलों में सांप्रदायिक झड़पों के दौरान कारों में आग लगा दी गई।

दलित समाज के लोगों ने किया सामना
नूहं में जाटव और भगत समाज के हिन्दुओं की आबादी रहती है। अक्सर मुस्लिम समुदाय द्वारा इन्हें ही निशाना बनाया जाता है। नियो पोलीटिक से ऑन कैमरा बातचीत के दौरान हिन्दू समुदाय के लोगों ने बताया कि पत्थरबाजी शुरू होने के एक घंटे बाद जाटव और भगत समाज के लड़के इक्खट्टा हुए जिन्होंने जिहादी भीड़ का सामना किया। अगर उस दिन यह युवक सामने नहीं आते तो बड़ी तादाद में जान माल का नुकसान होना तय था।

मंदिर पर किया गया पथराव
ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान हमें बताया कि एक शिव मंदिर पर भी जिहादियों ने हमला किया था। भीड़ ने जमकर मंदिर को निशाना बनाया। हालाँकि हिन्दू समाज की एकजुटता ने बड़े नुकसान से लोगों को बचा लिया।

पहरा देकर सोने को मजबूर
हिन्दू बस्ती के लोग अब पहरा देकर सोने को मजबूर है। भयानक मंजर को देखने के बाद एक नाबालिग बच्चे ने हमें बताया कि हिन्दू परिवार अब पहरा देकर सो रहे हैं। साथ ही समाज के लोगों का कहना है कि उन्हें डर है कि पुलिस के वापस जाते ही वापस उनपर हमला हो सकता है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि मेवात में रैपिड एक्शन फाॅर्स की एक परमानेंट यूनिट का गठन किया जाये जो ऐसे समय में त्वरित एक्शन ले। फिलहाल मौके पर भारी तादाद में पुलिस बल और रैपिड एक्शन फाॅर्स की तैनाती की गई है

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