सुल्तानपुर: उत्तर प्रदेश में एक बार फिर एससी एसटी एक्ट के बेजा इस्तेमाल का केस सामने आया है। इस बार चुनावी रंजिस में एक मौजूदा प्रधान प्रतिनिधि व उनके तीन बच्चो सहित 7 लोगो पर एससी एसटी एक्ट थोप दिया गया।
मामला सुल्तानपुर के लम्भुआ स्थित दुल्हापुर गाँव का है जहां रहने वाले प्रधान प्रतिनिधि राम प्रसाद शुक्ल पर पूर्व के प्रधान आलमगीर के कहने पर 18 अगस्त को एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति द्वारा अनुसूचित जाति व जनजाति एक्ट में मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
मामले पर अधिक जानकारी जुटाने पर हमने पाया कि आये दिन पूर्व प्रधान आलमगीर द्वारा प्रधान के खिलाफ जांच बुलाई जाती थी। उसी क्रम में आलमगीर द्वारा एक बार फिर जाँच बुलाई गयी थी।
जिसके बाद मौके पर प्रधान प्रतिनिधि पहुंचे थे। प्रधान के पहुंचते ही आलमगीर ने उनके साथ गाली गलोच शुरू कर दी जिसपर प्रधान के आस पास मौजूद लोगो ने प्रधान का पक्ष लेते हुए आलमगीर को दूर करना चाहा तो आलमगीर खड़ंजे पर गिर गया जिससे उसके आँख के पास हल्की सी सूजन आ गयी। जिसपर पुलिस ने आईपीसी की धारा 307 के तहत जान से मारने की कोशिश में प्रधान पर मुकदमा दर्ज कर दिया।
जिसके बाद पूर्व प्रधान ने अपनी ही FIR में एक अनुसूचित जाति के सचिन कुमार को शामिल कर इस दलित युवक द्वारा थाने में तहरीर डलवाई गयी। सचिन ने अपनी तहरीर में बताया कि प्रधान व उनके बच्चे सहित 7 लोगो ने उसके साथ जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया है। जबकि मौके पर सचिन कुमार मौजूद ही नहीं थे।
वही प्रधान के बच्चे जो इस समय पढाई करते है वह सुल्तानपुर शहर गए हुए थे जोकि मौके से 23 किलोमीटर दूर स्थित है जिसके सारे सबूत प्रधान के पास मौजूद है। लेकिन आपसी रंजिस के चलते उनके बच्चो का नाम भी एससी एसटी एक्ट में डलवा दिया गया।
प्रधान के तीन पुत्रो के अलावा प्रधान के चाचा रामतीरथ शुक्ल व उनके उनके दो पुत्रो का भी नाम एससी एसटी एक्ट में डाला गया है।
रात तीन बजे पुलिस घर से उठा ले गयी
प्रधान के अनुसार वह उसी रात थाने गए थे लेकिन वहां पुलिस ने उन्हें वापस घर भेज दिया था। जिसके बाद एकाएक थानाप्रभारी अपनी टीम लेकर रात तीन बजे प्रधान के घर आ पहुंचे।
घर पहुंचने पर पुलिस ने प्रधान सहित उनके पुत्रो को गिरफ्तार कर थाने ले गयी व पूरी रात परेशान किया। प्रधान ने हमें बातचीत में बताया कि वह कोई गुंडा मवाली नहीं है जो पुलिस रात के तीन बजे उन्हें व उनके पुत्र को उठा कर थाने ले गयी थी साथ ही उनका पुलिस ने 151 में चालान भी कर दिया था।
जिसके बाद उन्होंने अपनी जमानत कोर्ट से कराई। प्रधान ने आगे बताया कि वह इस एक्ट व पूर्व प्रधान आलमगीर से बेहद परेशान है व राजनीती छोड़ने के बारे में सोच रहे है।
वहीं गाँव वालो के अनुसार प्रधान को फ़साने के लिए आलमगीर आये दिन कुछ न कुछ हथकंडे अपनाता रहता है।
Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem