नई दिल्ली: आदिवासियों के धर्मांतरण कराने वाले संगठनों पर गृह मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है।
धर्मांतरण को लेकर मोदी सरकार ने अब तक की बड़ी कार्रवाई की है। रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 गैर सरकारी संगठनों (NGOs) और संगठनों के विदेशी फंडिंग लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया है। FCRA लाइसेंस का निलंबन फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट, 2010 के प्रावधानों के उल्लंघन में किया गया है क्योंकि इन संगठनों पर आदिवासी बहुल क्षेत्रों में धर्म परिवर्तन अंजाम देने के आरोप लगे हैं।
धार्मिक उद्देश्यों के लिए विदेशी दान प्राप्त करने के लिए पंजीकरण अनुमति भी निलंबित कर दी गई। खुफिया रिपोर्ट द्वारा कुछ राज्यों, विशेष रूप से झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में संगठनों की गतिविधियों के खुलासे के बाद उनके बैंक खाते जब्त किए गए हैं। रिपोर्ट में पाया गया था कि इनका उद्देश्य स्थानीय लोगों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण करवाना था।
एक्ट की धारा 12 (4) एक धर्म से दूसरे धर्म में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जबरन धर्मांतरण उद्देश्य से गतिविधियों में लिप्त एक एनजीओ / एसोसिएशन के लाइसेंस को निलंबित करने के लिए एफसीआरए अधिकारियों को अधिकार देता है। बताया गया कि खुफिया एजेंसियों ने आदिवासियों के धार्मिक रूपांतरण के लिए विदेशी फंड का इस्तेमाल करते हुए इन एनजीओ के पिछले रिकॉर्ड की का खुलासा किया था। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि 13 एनजीओ को एफसीआरए के उल्लंघन पर कारण बताओ नोटिस दिया गया और आरोपों का जवाब देने को कहा गया था। हालांकि, उन्होंने निर्धारित समय-सीमा के भीतर जवाब नहीं दिया। सूत्रों ने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों ने देर से प्रतिक्रिया दी और स्पष्टीकरण असंतोषजनक पाया गया। तदनुसार, समीक्षा के तहत सभी 13 संस्थाओं के लाइसेंस निलंबित करने का निर्णय लिया गया था।
निलंबन नोटिस का जवाब देने के लिए 13 एनजीओ को छह महीने का समय दिया गया है और उनकी प्रतिक्रिया के आधार पर, एफसीआरए लाइसेंस रद्द या बहाल किया जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में, कुछ सबसे बड़े विदेशी एनजीओ को एफसीआरए के तहत कार्रवाई झेलनी पड़ी है।
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