नई दिल्ली: राज्यसभा में भाजपा सांसदों ने हिंदी व जनसंख्या कानून का मुद्दा जोरों से उठाया है।
शुक्रवार को राज्यसभा में भाजपा सदस्यों ने देवनागरी लिपि में सभी 22 आधिकारिक भाषाओं के लेखन व जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए दंडात्मक उपायों के साथ कठोर जनसंख्या नियंत्रण जैसे कानूनों के सुझाव दिए। उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसदों, हरनाथ सिंह यादव और शिव प्रताप शुक्ला ने शून्यकाल के दौरान बोलते हुए ये सिफारिशें कीं।
श्री शुक्ला ने कहा कि “क्षेत्रीय भाषाएं भारतीय परंपरा और विरासत के रखवाले हैं, लेकिन वे छिपे रहते हैं क्योंकि बड़े आबादी के पास इसकी कोई पहुंच नहीं थी।” आगे कहा कि “सभी भाषाओं में से, हिंदी देश के हर कोने में बोली और समझी जाती है। इसलिए मेरा सुझाव है कि सभी 22 आधिकारिक भाषाओं को देवनागरी लिपि में लिखा जाना चाहिए।”
श्री शुक्ला ने हिंदी में बोलते हुए तर्क दिया कि यदि भाषाएं देवनागरी लिपि में उपलब्ध होतीं तो इसे केवल सांसदों द्वारा ही नहीं, बल्कि सभी के द्वारा समझा जा सकता है। हालांकि उनकी टिप्पणी का एमडीएमके सदस्य वाइको द्वारा जोरदार विरोध किया गया।
उधर जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता पर बोलते हुए, हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि 1951 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 36 करोड़ थी, 2011 तक यह बढ़कर 121 करोड़ हो गई और 2025 तक यह 150 करोड़ होने की उम्मीद थी। उन्होंने जनसंख्या विस्फोट को बेरोजगारी, भोजन की कमी, कुपोषण, गरीबी, कृषि संकट और पानी की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा “हमारे पास पीने के लिए पानी नहीं होगा। वर्तमान में प्रत्येक भारतीय के पास 1,525 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है, 2025 तक यह घटकर 1,060 रह जाएगा। देश के ‘सुनहरे भविष्य’ के लिए, जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक मजबूत कानून लाने के लिए राजनीतिक, धार्मिक और जातिवादी मतभेदों से ऊपर उठना आवश्यक था। और कठोर दो-बच्चों की नीति होनी चाहिए।”
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