जयपुर: राजस्थान के निवासियों के लिए एक बुरी खबर है… राजस्थान फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट के तहत जारी की गई रिपोर्ट में सरकार ने अप्रैल से सितंबर तक आमदनी व खर्च का विवरण साझा किया, जिसके अनुसार प्रदेश पर अब तक 3.79 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है।
भास्कर रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि अगर इस खर्च को 7.5 करोड़ की आबादी में बांटे तो प्रदेश की प्रत्येक व्यक्ति पर लगभग 50533 रुपए का कर्ज है। वर्ष 2021 के आने वाले बजट से पहले गहलोत सरकार ने मंगलवार को अपनी वित्तीय हालत की छमाही रिपोर्ट पेश की। उसने दिए आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 6 महीनों में सरकार का राजकोषीय घाटा 27000 करोड रुपए पहुंच गया है, वहीं सरकार ने पूरे वित्तीय वर्ष के लिए 33922 करोड रुपए का राजकोषीय घाटा अनुमानित किया था। आपको बता दें की आमदनी और खर्च के अंतर को राजस्व घाटा माना जाता है। अप्रैल से सितंबर तक राजस्थान सरकार आमदनी 55096 करोड रुपए एवं खर्च 83055 करोड रुपए का हुआ है।
इस घाटे के कारण सरकार की महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ जाएंगे क्योंकि सरकार इस वित्तीय वर्ष में अपनी अधिकतम सीमा तक पहले ही उधार ले चुकी है। घाटे के कारण सरकारी कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का भुगतान अभी तक राज्य सरकार द्वारा नहीं किया गया है। राज्य कर्मचारियों के वेतन भुगतान भी लंबित है। घाटे को देखते हुए सरकार ने सभी विभागों में अपने प्रोजेक्टों के खर्च में कटौती करने के प्लान मांगे हैं क्योंकि अब घाटे के कारण सरकार को सीमा में रहकर ही खर्च करना पड़ेगा।
ये रहे राजकोषीय घाटे के कारण:
लगभग 6 महीनों की लॉकडाउन के कारण प्रदेश के सभी कारोबार पूरी तरह ठप रहे जिससे सरकार को मिलने वाले टैक्स में कमी आई। राज्य सरकार के अपने कर राजस्व में 32% से ज्यादा की गिरावट रही। कोरोना महामारी के कारण हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर आर्थिक मदद भी ज्यादा करनी पड़ी। केंद्रीय कर 17101 करोड़ रुपए के मुकाबले लगभग 11.87% कम 15541 करोड रुपए मिला।
क्योंकि अब लोकडाउन खत्म हो गया है तो सरकार का राजस्व बढ़ रहा है जिससे अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है तो लगभग 6 महीनों में राजस्व घाटे की पूर्ति के कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन सरकारी खर्च पर दबाव होना तय है।