NDTV की पूर्व पत्रकार निधि राजदान के हार्वर्ड विश्विधालय में प्रोफेसर बनने की खबरों को आप सभी ने भी सुना पढ़ा होगा। जिसे NDTV ने भी काफी प्रसारित भी किया था। अब निधि राजदान ने खुद ट्विटर के माध्यम से इसे उनके साथ हुआ एक फ्रॉड बताया है। निधि राजदान ने बताया कि वह इंटरनेट फिशिंग का शिकार हुई है। उन्होंने अपने सन्देश पत्र में बताया कि जून 2020 को उन्हें NDTV के साथ 21 वर्ष पुरे हो गए थे जिसके बाद उन्होंने हार्वर्ड से जुड़ने के बारे में सोचा।
आगे निधि ने बताया कि उन्हें विश्विधालय की तरफ से एक ऑफर लेटर भी आया जिसमे उन्हें विश्वास दिलाया गया कि सितम्बर माह में उन्हें विश्विद्यालय से जुड़ना है। जिसके बाद उन्हें बताया गया कि कोरोना माहमारी के चलते अब उनकी क्लासेज जनवरी माह से शुरू होने जा रही है। समय बीतने के साथ उन्हें लगने लगा कि बताये जा रहे तौर तरीके में कई प्रशासनिक विसंगतिया है। जिसके कारण उन्होंने हावर्ड की सीनियर फैकल्टी को इस सम्बन्ध में संपर्क किया। जिसके बाद पुरे फ्रॉड की जानकारी निधि को हाथ लगी।
निधि ने इस पुरे फ्रॉड की शिकायत साइबर सेल में कर दी है।
NDTV को दिया था श्रेय
फर्जी ऑफर लेटर को असली मान निधि ने अपनी सफलता का श्रेय प्रणब रॉय व NDTV को दिया था। उन्होंने अपने कई ट्वीट से NDTV को हमेशा अपनी सफलता की कुंजी बताई थी।
NDTV ने कई शो में बुलाया, बताया था हॉवर्ड की फैकल्टी
अमेरिकी चुनावो में NDTV ने निधि राजदान को हार्वर्ड के एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर बुलाया था। जिसमे उनसे अमेरिकी चुनावो पर सुझाव मांगे गए थे।
वहीं कई ऑनलाइन जर्नलिज्म के कोर्स में भी निधि राजधान को हार्वर्ड की फैकल्टी के तौर पर वेबिनार में आमंत्रित किया जा चूका था।
सोशल मीडिया पर NDTV की खोजी पत्रकारिता का बना रहे है मजाक
सोशल मीडिया पर फैक्ट चेक करने व अपने को सबसे सतर्क पत्रकार बताने पर अब निधि राजदान को ट्रोल किया जा रहा है। कई लोग उन्हें इस फ्रॉड को न समझ पाने पर उपहास का पात्र बना रहे है। तो वहीं कुछ लोग फैक्ट चेक के पुराने ट्वीट शेयर कर मजे भी ले रहे है।