नई दिल्ली: भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने संसद में जानकारी देते हुए कहा कि कुछ रोहिंग्या प्रवासियों के अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की रिपोर्ट मिली हैं।
राज्यसभा सदस्यों रंजनबेन भट्ट व संजय काका पाटील द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि भारत शरणार्थियों के दर्जे से संबंधित 1951 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेशन और उससे संबंधित 1967 के प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
सभी विदेशी राष्ट्रिक (शरण मांगने वालों सहित) “विदेशियों विषयक अधिनियम, 1946″, “विदेशियों का रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1939,” “पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920” और “नागरिकता अधिनियम , 1955” तथा उनके अंतर्गत बनाए गए नियमों एवं आदेशों में निहित प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं।
गृह राज्य मंत्री ने आगे बताया कि जो विदेशी राष्ट्रिक वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करते हैं, उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है। चूंकि अवैध प्रवासी वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना गैरकानूनी और गुप्त तरीके से देश में प्रवेश कर जाते हैं, इसलिए देश में रह रहे ऐसे प्रवासियों की संख्या के संबंध में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। कुछ रोहिंग्या प्रवासियों के अवैध गतिविधियों में लिप्त होने की रिपोर्ट मिली हैं।
केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों / संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को निर्देश जारी किए हैं, जिनके तहत उन्हें अवैध आप्रवासियों की शीघ्र पहचान करने, कानून में किए गए प्रावधानों के अनुसार विशिष्ट स्थलों पर उनके आवागमन को प्रतिबंधित करने, उनके बायोग्राफिक और बायोमीट्रिक विवरणों को रखने, फर्जी भारतीय दस्तावेजों को रद्द करने तथा कानून के प्रावधानों के अनुसार निर्वासन की कार्रवाई शुरू करने सहित विधिक कार्रवाई करने हेतु उपयुक्त कदम उठाने के लिए विधि प्रवर्तन एवं खुफिया एजेंसियों को जागरूक बनाने की सलाह दी गई है।
अंत में उन्होंने कहा कि विदेशी राष्ट्रिकों के अधिक समय तक ठहरने और अवैध प्रवास के मुद्दों का समाधान करने के लिए दिनांक 30.03.2021 को समेकित निर्देश भी जारी किए गए हैं।