बिलासपुर– छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में 50% से अधिक आरक्षण को असंवैधानिक बताया है, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू का कहना है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल काॅलेजों में किसी भी स्थिति में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं होना चाहिए।
जानिए हाईकोर्ट के इस फैसले की वजह?
साल 2012 में बीजेपी की सरकार द्वारा आरक्षण नियमों में संशोधन करके अनुसूचित जाति वर्ग को मिलने वाले 16% आरक्षण को 4 फीसदी कम करके 12% कर दिया गया था, तो अनूसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण को 20% से बढ़ाकर 32% कर दिया गया था। जबकि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को यथावत 14% ही रखा गया था, जिसके बाद कुल आरक्षण 58% हो गया था।
आरक्षण नियमों में इन्हीं सब बदलावों के चलते हाईकोर्ट में अलग-अलग 21 याचिकाएं दायर कर गई थी, जिसमें याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने आरक्षण नियमों किए गए बदलाव को असंवैधानिक बताया था।
जिसके बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू ने दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दो महीने पहले 7 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और बीते दिन सोमवार को फैसला सुनाते हुए 58% आरक्षण को असंवैधानिक बताया हैं।
SC आरक्षण में कटौती का भी हुआ था विरोध
अनुसूचित जाति वर्ग का चार फीसदी आरक्षण कम होने पर गुरु घासीदास साहित्य नामक एक समिति द्वारा भी विरोध दर्ज कराया गया था। जहां उस समिति का कहना था कि ”राज्य शासन ने सर्वेक्षण किए बिना ही आरक्षण का प्रतिशत घटा दिया है, जिसका नुकसान आगे चलकर अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं को उठाना पड़ेगा”।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.