आज, यानी 14 अप्रैल बाबा साहब के जन्मदिन के अवसर पर नियो पॉलिटिको हिन्दी (पूर्व में जिसे फलाना दिखाना नाम से जाना जाता था) न्यूज पोर्टल को लांच कर दिया गया है। 14 अप्रैल अम्बेडकरवादियों के लिए हमेशा से ही खास दिन रहा है। तो ऐसे में बाबा साहब के जन्मदिन पर नियो पॉलिटिको हिन्दी को बहुजनवादियों को एक उपहार के तौर पर समर्पित किया जा रहा है।
इतना ही नहीं, फलाना दिखाना के द्वारा कवर किए गए फैक्ट चेक से नील क्रांति को जो हानि हुई है, उसके लिए हमारे मुख्य संपादक खुद को भीम दंड के दोषी मानते हुए शर्मिंदा है। उन्होने एक माफी पत्र लिखा है, जिसे आप यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
नियो पॉलिटिको हिन्दी की वेबसाइट पर नियो ब्लू नाम से एक खास फीचर दिया गया है। जो कि पूरी तरह से अम्बेडकरवादियों को समर्पित है। जानिए बहुजनों के लिए किस तरह से खास है नियो ब्लू फीचर –
नियो ब्लू फीचर हमारे द्वारा किए जाने वाले फैक्ट चेक और इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट का एक सेक्शन होगा। जिसका सब्सक्रिप्शन लेकर आप प्रीमियम कंटेंट पढ़ और देख पाएंगे। इस सेक्शन को पूरी तरह से भारत रत्न भीम राव अंबेडकर जी को समर्पित किया जाएगा। नियो ब्लू के सब्सक्रिप्सन में JAIBHIM कोड का प्रयोग करने पर 10 प्रतिशत का तुरन्त डिस्काउन्ट मिलेगा। इस कोड द्वारा लिया गया डिस्काउंट बाबा साहब की क्रांति में हमारी आस्था का प्रतीक होगा।
बहुत खास है यह फीचर
देश के तमाम बुद्धिजीवियों और आम वर्ग के लोगों की राय को देखते हुए इस सेक्शन को नीले रंग में रखने का फैसला लिया गया है। यानी की जैसे ही आप नियो ब्लू पर क्लिक करेंगे आपकी स्क्रीन का इंटरफेस नीले रंग में हो जाएगा। नीले रंग के महत्व पर अम्बेडकरवादी लालजी निर्मल कहते है ”नीला रंग बाबा साहब का प्रिय कलर था और निजी जीवन में भी वह इसका खासा इस्तेमाल करते थे। बसपा ने भी इसी रंग को अपनाया और इस तरह यह दलित अस्मिता का प्रतीक बन गया। इन्हीं ठोस कारणों की वजह से इसे नीले रंग में रखने का फैसला किया गया है।”
संविधान को मानने वाले हर व्यक्ति के फोन में होना चाहिए नियो ब्लू
कॉपी पेस्ट पत्रकारिता के इतर नियो ब्लू पर आप खबरों को बाबा साहब के संविधान और कानूनी दृष्टिकोण से समझ पाएंगे। इसके लिए खबरों में विशेषज्ञ वकील और कानून के जानकारों का मत भी लिखा जाएगा।
आते ही चर्चा में बना नियो ब्लू
नियो पॉलिटिको की निजी शोध में नियो ब्लू को लोगों का आपार समर्थन मिलता दिख रहा है। संपादक शुभम शर्मा का इसपर कहना है कि जिस फीचर को बाबा साहब को समर्पित कर दिया गया है। उसे तो चर्चा में बनना ही था। हालांकि उन्हें यह भी डर है कि बाबा साहब के नाम पर दुकान चला रहे झूठे और नकली अंबेडकरवादी इसका दुरुपयोग कर सकते है। उनका धंधा बंद हो सकता है।
आज बाबा साहब की जयंती पर जहां देश पर तमाम नेता, विचारक और आम जनता उन्हें पुष्प और माला अर्पित करके याद कर रही है वहीं नियो पॉलिटिको हिंदी को बाबा साहब को समर्पित किया जाना ही सच्ची श्रद्धांजलि माना जाएगा।