अयोध्या- उत्तरप्रदेश के अयोध्या में एससी एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करवा कर खुद अपने बयान से पलटना एक व्यक्ति को महंगा पड़ गया, कोर्ट ने उसके खिलाफ झूठी गवाही देने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने और राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली राहत राशि को भी वापस करने का फैसला सुनाया है, जिसकी एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट को भी भेजने के निर्देश दिया हैं।
जानिए क्या था पूरा मामला?
आपको बता दे कि एससी एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश राकेश कुमार की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है, कोर्ट में विशेष लोक आयोजक नरसिंह नारायण उपाध्याय और लालमणि तिवारी का कहना है कि बिरौली गाँव के सुरेंद्र बहादुर सिंह के खिलाफ संतबक्स ने मारपीट, दबाव बनाने और एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
संतबक्स का आरोप था कि बिरौली नहर के पास आरोपी सुरेंद्र बहादुर सिंह उसे रोक लिया और अपने घर का निर्माण कार्य कराने के लिए उस पर दबाव बनाने लगा। मना करने पर मारपीट करते हुए जातिसूचक गालियां दी, जिसकी रिपोर्ट पुलिस महानिरीक्षक के आदेश पर दर्ज हुई थी।
जहां पुलिस ने विवेचना के बाद सुरेंद्र बहादुर सिंह के खिलाफ मारपीट और दलित उत्पीड़न के आरोप में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी, वहीं इस पूरे मामला में जब कोर्ट में सुनवाई हुई तो गवाही के दौरान कथित पीड़ित संतबक्स खुद ही अपने बयान से मुकर गया और कोर्ट में झूठी गवाही दी। जिसके देखते हुए कोर्ट ने अभियुक्त सुरेंद्र बहादुर सिंह को दोषमुक्त कर दिया।
वहीं कोर्ट ने संतबक्स के खिलाफ झूठी गवाही देने के आरोप में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है और सरकार की तरफ से एससी एसटी एक्ट (दलित उत्पीड़न) के तहत पीड़ित को मिलने वाली मुआवजा राशि को भी वसूल करने के आदेश दिए हैं।
Kapil reports for Neo Politico Hindi.