नई दिल्ली :- अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने आज ऐसे आंकड़े प्रकाशित किये हैं, जिससे पूरे देश में राजनीति फिर से एक बार अपनी करवट बदलने जा रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने यह दवा किया है कि उसे यह जानकारी RTI के तहत प्राप्त हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा यूजीसी से मिले एक आरटीआई में ये खुलासा किया गया है कि देश भर के 40 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर में ओबीसी केटेगरी के अंतर्गत कार्य करने वाले एक भी लोग नहीं है। वही ग्रुप A और ग्रुप B की नौकरी में ओबीसी केटेगरी के अंतर्गत प्रतिनिधित्व बहुत ही दयनीय है। यूपीएससी, नीति आयोग जैसे कई संस्थानों में उनका प्रतिनिधितव 10 प्रतिशत के करीब है। देश के सबसे बड़े एम्प्लायर रेलवे के ग्रुप ए और ग्रुप बी में आनेवाले ओबीसी केटेगरी के अंतर्गत सिर्फ 1319 कर्मचारी है, जोकि सिर्फ 8.05 प्रतिशत है ।
इंडियन एक्सप्रेस का यह डाटा ऐसे समय में आया है जिस समय “जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी” की बात चल रही है ।आरजेडी, सपा जैसी राजनीतिक पार्टियां ओबीसी के लिए 52 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रही है । महाराष्ट्र में ओबीसी संगठनों ने इसके लिए फरवरी में इसको लेकर आंदोलन कि भी चेतावनी दी है । अब अगर ऐसे में ये मांग तेज़ होगी तो राजनीतिक पार्टियां भी इससे अछूती नहीं रहेंगी, क्योंकि ओबीसी एक बड़ा वोट बैंक है। वहीँ इसी के साथ बसपा की अध्यक्ष मायावती ने भी मुसलमानों के लिए अलग से आरक्षण की मांग की है।