मोदी सरकार नें माँगा प्राइवेट कंपनियों से SC/STs का डाटा, आरक्षण की उठ चुकी है माँग !

नईदिल्ली : मोदी सरकार नें प्राइवेट कम्पनियों से SC/ST कर्मियों की जानकारी मांगी है, रिपोर्ट के अनुसार इन कर्मचारियों को मिल सकती है बड़ी सौगात !
केंद्र की मोदी सरकार के मंत्रालय नें प्राइवेट व सरकारी कम्पनियों से उनके यहां काम कर रहे SC/ST कर्मचारियों का आंकड़ा मांगा है ।
इस बारे में देश के 3 बड़े अंग्रेजी अखबारों नें कुछ इनपुट्स के साथ ख़बर छापी है ।
वित्तीय मामलों के अखबार बिज़नेस टूडे की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में योगदान देने वाली कंपनियों को SC/ST कर्मचारियों की संख्या बताने के लिए कहा है। यह अनुरोध नीति आयोग द्वारा संचालित एक सर्वेक्षण का भी हिस्सा है।
Ministry for Labour, Delhi
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि सर्वेक्षण के एक भाग के रूप में, क्षेत्रीय भविष्य निधि कार्यालय कुल रोजगार में एससी और एसटी कर्मचारियों के अनुपात का रोजगार डेटा मांगने वाली कंपनियों को प्रश्न भेज रहे हैं। प्रारंभ में, अनुरोध केवल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) तक ही सीमित था, लेकिन अंततः निजी कंपनियों के लिए भी बढ़ा दिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, एससी, एसटी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए डेटा को एकत्रित किया जा रहा है। केंद्र की योजना एससी, एसटी कर्मचारियों द्वारा कर्मचारी भविष्य के योगदान के बिल को इस डेटा के साथ EPFO के पास भेजने की है। श्रम मंत्रालय के परामर्श से इस योजना का आधार बनाया जा रहा है।
EPFO Office New Delhi
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कुल रोजगार में एससी और एसटी कर्मचारियों के अनुपात के रोजगार डेटा का एक सैंपल सर्वे करने की इच्छा की है । PSU के संबंध में पहले उदाहरण में डेटा का अनुरोध किया गया था, जिनसे इसे कम समय में गणना की जा सकती है।
हालांकि, मंत्रालय चाहता है कि प्रतिष्ठानों में स्तरीकृत सैंपल डेटा हो। इसलिए, यह अन्य प्रतिष्ठानों से भी डेटा एकत्र करने के लिए अनुरोध किया जाता है । रिपोर्ट में कहा गया है, क्षेत्रीय भविष्य निधि कार्यालयों द्वारा दिए गए सूचना को अध्ययन करता है। सर्वेक्षण में कंपनी का नाम, कर्मचारियों की कुल संख्या, एससी कर्मचारियों की संख्या और एसटी कर्मचारियों की संख्या जैसी जानकारी मांगी गई है।
डेली अखबार के अनुसार, नियोक्ता का योगदान कंपनी द्वारा किया जाएगा, जबकि सरकार एससी, एसटी कर्मचारियों के लिए कर्मचारी हिस्सेदारी का भुगतान करेगी।
हालांकि जिन अखबारों नें रिपोर्ट छापी उसमें सरकार से कोई जानकारी नहीं मिली है कि इस तरह के जातिगत डेटा माँगने के पीछे असली वजह क्या है जबकि अलग अलग रिपोर्ट में अलग अलग क़यास लगाए गए हैं ।
इधर इंडिया टूडे के पार्ट आज़तक नें अपने रिपोर्ट में प्राइवेट कम्पनियों में लंबे समय से उठ रहे आरक्षण की बात भी कही है ।
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की बात 2019 लोकसभा चुनाव के कई पार्टियों के घोषणा पत्र में शामिल थी जिसमें JDU, RJD, SP, BSP, व लेफ्ट पार्टियां शामिल हैं । वहीं मोदी सरकार में मंत्री रामदास अठावले नें भी क्रिकेट जैसे खेलों में दलितों को आरक्षण की बात उठाई थी । इसके अलावा CPIM नेता सीताराम येचुरी नें भी प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की बात कही है ।
इधर कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में दलित पिछड़े वर्गों को लुभाने के लिए किसी भी प्रकार की घोषणा भाजपा सरकार का मास्टर प्लान भी बना सकती है ।

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