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अमृतसर ट्रेन हादसे की पड़ताल

नई दिल्ली:- 19 अक्टूबर 2018 को अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे से पूरी दुनिया सदमे में है। जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर शोक जताया, वहीँ दुनिया के बहुत से देशो ने इस हादसे पर दुख जताया है। श्रीलंका, नेपाल, रूस और पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों ने भी इस हादसे पर चिंता जाहिर की है।

19 अक्टूबर को अमृतसर के जोधा फाटक इलाके में करीब सैकड़ों लोग रावण दहन देखने के लिए इकठ्ठा हुए थे, जिसमे मुख्य अतिथि नवजोत कौर सिद्धू थी। इस कार्यकर्म में बहुत से लोग रावण दहन का अच्छा नजारा देखने के लिए रेलवे ट्रैक पर भी मौजूद थे।

जहाँ पर रावण दहन का कार्यकर्म आयोजित किया गया था वहां से करीब 60 फ़ीट की दूरी पर ही दो रेलवे ट्रैक हैं। जिस समय रावण दहन किया जा रहा था, उसी दौरान ट्रैक पर अमृतसर-हावड़ा मेल आ गई। लोग बाल-बाल बचे और भागते हुए साथ वाले दूसरे ट्रैक पर चले गए, लेकिन जब तक वे संभलते इस ट्रैक पर भी जालंधर-अमृतसर डीएमयू आ गई। तेज रफ्तार ट्रेन ने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।

इस हादसे में अभी तक 61 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 100 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। जिस ट्रेन से यह हादसा हुआ उसके ड्राइवर ने अमृतसर जंक्शन मास्टर को जाकर इस हादसे के बारे में तलब किया था। रेल मंत्री पियूष गोयल ने इस हादसे से अपना पल्ला झाड़ लिया है और ट्रेन के ड्राइवर की भी कोई गलती नहीं बताई है।

पंजाब राज्य सरकार ने मृतकों व घायलों को आर्थिक राशी देने की घोषणा की है। पंजाब सरकार मृतकों को जहाँ 5 लाख व घायलों को 50 हजार देगी, वहीँ केंद्र सरकार भी दो लाख रुपये की आर्थिक मदद देगी। पंजाब सरकार ने इस हादसे पर राज्य में एक दिन शोक दिवस के रूप में मनाया है।

अब ये सवाल खड़ा होता है कि क्या इस हादसे को टाला जा सकता था? गृह मंत्रालय में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमऐ) नामक एक संस्था है जिसकी 2016-17 में भीड़ को नियंत्रण करने के लिए गाइडलाइन्स थी कि ऐसे आयोजन जिसमे भीड़ आती है वे रेलवे ट्रैक के पास आयोजित न किये जायें।

हम आपको बता दें कि इस हादसे पर कोई भी नेता या प्रसाशन अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। जहाँ बीजेपी वजोत कौर सिद्धू पर सवाल उठा रही है तो वही कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार में भी तो हादसे होते हैं।

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