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अब तक छप्पन के फिल्म निर्माता को चर्चित प्रणय दलित हत्या का सच दिखाना पड़ा महंगा, लगा SC-ST एक्ट

तेलंगाना: ‘अब तक छप्पन’ फिल्म के मशहूर डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा पर एससी एसटी एक्ट की गाज गिरी है। नेशनल फिल्म अवार्ड्स, ज़ी सिने व फिल्म फेयर जैसे नामी गिरामी अवार्ड जीत चुके राम गोपाल वर्मा व उनके प्रोडूसर साथी नत्ति करुणा को अपनी आने वाली फिल्म में एक दलित की कहानी दिखाना महंगा पड़ गया है।

दरअसल इस समय वर्मा व करुणा अपनी नई फिल्म मर्डर पर काम कर रहे है जिसके पोस्टर को रिलीज़ करने पर उनपर यह मामला दर्ज किया गया है।

मर्डर फिल्म एक दलित लड़के पेरुमल्ला प्रणय कुमार पर आधारित है जिसको प्रेम विवाह करने पर लड़की के घर वालों ने मौत के घाट उतार दिया था।

वहीं मामले की सच्चाई दिखाते हुए राम गोपाल वर्मा ने बड़ी कुशलता से फिल्म में मामले की सच्चाई को उजागर करते हुए इसे जातीय हिंसा मानने से मना कर दिया था जिस कारण से उनपर यह केस दर्ज किया गया है।

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पिता अपनी बेटी से बहुत प्रेम करता था लेकिन जब उसने भाग कर शादी कर ली तो उससे उनको बहुत पीड़ा पहुंची जिसके कारण उन्होंने आक्रोश में प्रणय की हत्या करवाई थी। वहीं पूरी फिल्म पर इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि यह मामला जातीय हिंसा से जुड़ा नहीं है।

एससी एसटी का मामला तेलंगाना के मिरयलागुड़ा Town-I पुलिस थाने में मारे गए दलित युवक प्रणय के पिता ने दर्ज कराया है। उनके मुताबिक यह फिल्म दो वर्गों में आपसी भेदभाव व दुश्मनी को बढ़ावा दे रही है।

आगे प्रणय के पिता ने कहा कि अगर यह फिल्म रिलीज़ होती है तो इससे उनके बेटे के केस पर असर पड़ेगा और मामला कमजोर हो जायेगा।

पिता के दावों के उलट फिल्म डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा ने कहा है कि फिल्म में सच्चाई दिखाई जा रही है और वह किसी भी फर्जी केस से नहीं डरने वाले, उनके वकील जल्द ही इसका उचित उत्तर देंगे।

साथ ही राम गोपाल ने आगे दोहराया कि फिल्म में किसी समुदाय विशेष को टारगेट नहीं किया गया है व फिल्म बनाना उनका सैंवधानिक हक़ है जिसके लिए वो कानून का सहारा लेंगे।

आपको बता दें कि मर्डर फिल्म में दिखाया गया है कि दलित लड़के कि हुई मौत कोई जात आधारित मौत नहीं थी बल्कि यह एक पिता के अपनी बेटी के प्रति असीमित प्रेम का नतीजा था।

हालाँकि प्रणय के पिता का कहना है कि अगर फिल्म रिलीज़ होती है तो लोगो के मन में यह भावना पैदा हो जाएगी कि उनके बेटे की हत्या दलित होने के कारण नहीं करी गई थी।

उनके वकील D. नरसिम्हा ने फिल्म पर रोक लगाने की मांग करी है साथ ही डायरेक्टर पर भी कार्यवाई की बाते कही है।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!

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