उत्तर प्रदेश(कानपूर) : 2019 लोकसभा चुनावो की आती सुगबुगाहट देख सूबे की सरकार दलितों को रिझाने के हर संभव प्रयास कर रही है। दलितों के हित के लिए किये गए कामो का बाकायदा पर्चे बाँट कर बखान किया जा रहा है।
विपक्षी दलों की तरफ से लगाए जा रहे दलित विरोधी मानसिकता के टैग को धूमिल करने के लिए ही सरकार ने एससी एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का निर्णय लिया था जिसके बाद सवर्णो का गुस्सा पहली दफा भारत बंद के रूप में फुट पड़ा था।
सरकार द्वारा संशोधित एक्ट में बुरी नियत से पीछा करने पर दलित महिला को एक लाख तक के मुआवजे का प्रावधान जोड़ा गया है जिसका राज्य सरकार पर्चे बटवाकर खूब ताली पीट रही है।
खबर है की समाज कल्याण विभाग की ओर से यह पर्चे बांटे जा रहे जिसमे सीएम योगी और अनुसूचित जाति व जनजाति के चेयरमैन बृजलाल की फोटो चस्पा की गई है।
यह हमारे देश की राजनीती के गिरते हुए स्तर का ही नतीजा है की आजादी के सत्तर सालो बाद भी हम महिलाओ में विभाजन कर उसी पीड़ित महिला को मुआवजा देंगे जो एक विशेष समुदाय से है या यु कहे की उनके वोट की राजनीती दूसरी जाति से आने वाली महिलाओ से कहीं अधिक है।