देहरादून: मुस्लिम सेवा संस्थान ने रविवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पुराने बस स्टैंड पर धरना दिया और एससी-एसटी अधिनियम के समान मुस्लिम अधिनियम लागू करने सहित विभिन्न मांगें उठाईं।
एनआरसी को रद्द करने, मौलाना कलीम सिद्दीकी की रिहाई और मुस्लिम अधिनियम को लागू करने की मांग को लेकर रविवार को हजारों लोग सड़कों पर उतर आए।
मौलाना कलीम सिद्दीकी को सितंबर में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के लिए एक राष्ट्रव्यापी सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
प्रदर्शनकारियों ने सच्चर और स्वामी रंगनाथन समितियों को लागू करने की भी मांग की है। भीम आर्मी मुस्लिम एक्ट का समर्थन करने के विरोध में शामिल हो गई है।
जाति आधारित जनगणना, लिंचिंग पर कानून: प्रमुख मुद्दे
मुस्लिम सेवा संस्थान के अध्यक्ष नईम कुरैशी ने लिंचिंग और जाति आधारित जनगणना का मुद्दा उठाया। कुरैशी ने एएनआई को बताया “देश में जाति आधारित जनगणना 1951 से हो रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अब इसे रोक रही है। जाति जनगणना होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “लिंचिंग हमारे समाज पर एक दाग की तरह है और हमें इसे एक विशेष कानून के साथ रोकने की जरूरत है।”
मुस्लिम सेवा संस्थान के प्रमुख ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो संगठन दिल्ली के जंतर-मंतर पर इसी तरह का एक और कार्यक्रम आयोजित करेगा।