बहराइच (यूपी) : ब्राम्हणों व राम मंदिर पर विवादित टिप्पणी करने वाली दलित नेता सावित्री बाई फुले को क्षेत्र की जनता करारी शिकस्त दिखाई है |
चुनाव आयोग के आँकड़ों के मुताबिक कांग्रेस नेता सावित्री बाई को मात्र 3.48 वोट प्रतिशत के साथ 3,44,54 वोट मिली हैं जबकि जमानत बचाने के लिए पड़ी हुई कुल वोटों 9,89,848 का 6% होना चाहिए | हालांकि उनसे अधिक सपा-बसपा गठबंधन में सपा नेता शब्बीर बाल्मीकि को 3,97,230 वोट मिली जिन्होंने भाजपा उम्मीदवार अक्षयवर लाल को कुछ टक्कर दी जिनको 5,25,982 वोट मिले और भाजपा नें फिर से इस सीट को जीत लिया है |
इस तरह से पर्चा भरते समय आयोग को दी जाने वाली उनकी 12.5 हजार जमानत राशि जब्त हो गई है |
आपको बता दें कि सावित्री बाई कांग्रेस की तरफ़ से बहराइच से उम्मीदवार बनाई गईं थी जोकि एक आरक्षित सीट है | हालांकि मार्च 2019 में ही वो कांग्रेस में आई थीं इससे पहले वो भाजपा से सांसद बनकर आई थीं |
लेकिन वो अक्सर पार्टी लाइन से हटकर बयान देती रहीं और पार्टी के लिए एक तरह से सिरदर्द का काम कर रही थीं |
इसके अलावा उन्होंने भाजपा से इस्तीफ़ा देते हुए राम मंदिर व ब्राह्मणों पर दिसंबर 2018 विवादित टिप्पणी की थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि “मंदिर तीन प्रतिशत ब्राह्मणों के कमाई का धंधा है” |
इसके अलावा उन्होंने श्री राम को शक्तिहीन बताते हुए कहा था कि अगर उनमें शक्ति होती तो मंदिर बन जाता |
देश एक तो कानून 2कैसे इसीलिए इन तमाम पार्टियों का ये हाल है, सबसे बड़ा उदाहरण राजस्थान,मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ हैं, एक बात clear हो गयी कि देश सबके साथ सबका विकास से ही चलने वाला है, सावित्रीबाई फुले और उदितराज जैसे ना घर के ना घाट के, जातिगत आरक्षण देश की सबसे बड़ी समस्या है जो आर्थिक आधार पर होना चाहिये जिसकी पहल मोदी जी ने सवर्णो को 10% आरक्षण देकर कर दी है मुझे उम्मीद ही नही पूर्ण विश्वास है कि आरक्षण पे विचार किया जायेगा नही तो नोटा का सोटा कोई रोक नही पायेगा, जातिगत आरक्षण मुर्दाबाद
एक देश एक कानून नही तो नोटा
जय हिंद जय भारत जय भारत स्वाभिमान
जय श्री राम जय श्री परशुराम जी की जय हो
पूरी दुनिया में देख लो जिस भी देश में सांप्रदायिक सरकार रही हैं या रही हों उस देश का बेड़ा गरक हो गया, इतिहास गवाह है.