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ब्राह्मण अत्याचारों पर आवाज उठाने पर गैंग रेप सहित 21 मुक़दमे दर्ज कर घर फूंका, पीड़ित ने लगाए बीजेपी नेता पर आरोप

शामली: उत्तरप्रदेश के शामली जनपद स्थित कांधला के रहने वाले ब्राह्मण परिवार पर राजनितिक रूप से सशक्त लोगो ने ब्राह्मणो पर हो रहे अत्याचारों पर आवाज उठाने के लिए दो बार रेप व गौहत्या समेत 21 से भी अधिक फर्जी केस ठोक दिए। पीड़ित परिवार के आशुतोष पांडेय ने कल रोते हुए अपनी आपबीती हमें सुनाई।

आशुतोष पांडेय ने बताया कि हर केस में उनपर आरोप फर्जी पाए जाते है लेकिन अगले ही पल उन पर एक नया मुकदमा ठोक दिया जाता है। बीते कई सालों से जेल व कोर्ट के चक्कर काट रहे इस युवा ने जेल में फर्जी मुकदमो में अभी 9 महीने का लगातार कारवास काटा है जिसमे यह पिछले माह ही छूट कर आये है।

पीड़ित आशुतोष पांडेय बीजेपी के बहुत बड़े समर्थक है जिन्होंने भाजपा के बड़े बड़े नेताओ के लिए ब्राह्मण सम्मलेन आयोजित किये है। लेकिन आज तक इनकी सहायता को एक भी बीजेपी नेता नहीं आया है।

भाजपा नेता मनोज तिवारी के साथ मुकुट लगाए बैठे आशुतोष पांडेय

मुक़दमे से परेशान हो चुके आशुतोष पांडेय ने हाल ही में राष्ट्रीय ब्राह्मण युवजन सभा जैसे चर्चित संगठन से इस्तीफा दे दिया था। मुकदमो का सिलसिला युवक के परिवार पर वर्ष 2002 से शुरू हुआ। जिसमे मन्दिर श्री शाकुम्बरी देवी भवन के विवाद में उन्हें कोर्ट से दोष मुक्त किया गया था। लगभग अधिकतर मामलो में आशुतोष ने बीजेपी नेता वीरेंद्र सिंह का हाथ बताया है।

उन्होंने कहा कि उनके परिवार को बीजेपी वीरेंद्र सिंह ने बर्बाद कर दिया। आशुतोष पांडेय के पिता व उनकी माता जी कि मौत में भी वीरेंद्र सिंह का हाथ बताया जाता है। इतना ही नहीं वीरेंद्र सिंह से राजनीतिक दुश्मनी के चलते 20 अप्रेल 2007 को कुछ अज्ञात लोगो ने आशुतोष पांडेय के घर में आग लगा दी थी जिसमे पीड़ित का पूरा घर जलकर राख हो गया था।

पीड़ित के घर आग लगने की घटना को मुख्य पेज पर छापा गया था
पीड़ित के घर लगाई आग के दृश्य

वहीं हद तो तब हो गयी जब पीड़ित को वर्ष 2010 में रेप के केस में फसा दिया गया। जिसमें गंभीर धाराओं 376,452,504,506 को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने दिनांक 01-07-2019 मुकदमा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया था।

वहीं बलात्कार में फ़साने के बाद उसी वर्ष पीड़ित को गैंगस्टर एक्ट में जब्त कर लिया गया था। जिससे पीड़ित मानसिक रूप से बुरी तरह टूट गया। जिसकी सुनवाई के बाद माननीय न्यायालय आयुक्त महोदय सहारनपुर के द्वारा वर्ष 2018 में आशुतोष पाण्डेय को दोष मुक्त कर दिया गया था।

अभी पीड़ित पर मुकदमो कि शुरआत भर ही हुई थी। जिसके बाद लगातार परेशान करने के उद्देस्य से पीड़ित को वर्ष 2012 में गौ हत्या के आरोपों में पकड़ लिया गया। जिसे बाद में सीबीसीआईडी द्वारा जांच के उक्त धाराओं में दोष मुक्त कर दिया गया था। दिलचस्प बात यह थी आशुतोष पांडेय खुद सरकार की ओर से कई गौ हत्यारों को पकड़वाने में गवाह के रूप में पेश हो चुके है जिन्हे बाद में खुद गौ हत्या में फसा दिया गया था।

आशुतोष ने हमें बताया कि इतने मुकदमे झेलने के बाद भी ब्राह्मण हितो में बोलने पर उन्हें काफी प्रताड़ित किया गया। उनका पूरा परिवार बर्बाद हो गया। माँ बाप की जान चली गई जिनको मरवाने का आरोप आशुतोष बीजेपी नेता वीरेंदर सिंह पर लगाते आये है।

जिसके बाद एक बार फिर वर्ष 2017 में पीड़ित पर 420,467,468,471,211,120बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया। लेकिन एक बार फिर अंतिम रिपोर्ट में घटना झूठी पाई गयी। लेकिन पीड़ित के अनुसार पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह के दबाव में केस को पूर्व एसपी द्वारा दुबारा खुलवाया गया व उन्हें दोषी बना दिया गया।

इस मामले में वादी रामकुमार सिंधल है जिनके खिलाफ पहले से ही 3 मुकदमे गम्भीर धाराओं में दर्ज है। आशुतोष के मुताबिक सिंघल और वीरेंदर सिंह ने ही इनके घर में आग लगवाई थी। दरअसल सिंघल पिता राजेन्द्र सिंधल श्री शीलता माता मंदिर की बलहीन समिति के अध्यक्ष थे जिन पर करोड़ो के गबन का आरोप सिद्ध हुआ था जिसको आशुतोष पांडेय ने उठाया था।

जिसके बाद राजकुमार सिंघल द्वारा दुबारा वीरेंदर सिंह के कहने पर वर्ष 2018 में धारा 386 509 के तहत थाना देहरादून में मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसको बाद में एक बार फिर झूठा पाया गया।

करीब 20 केस में परेशान किये जाने व गलत ढंग से जेल भेजे जाने के बाद भी आशुतोश पांडेय ने हार नहीं मानी। लेकिन एक बार फिर बीजेपी नेता वीरेंदर सिंह के इशारे पर पीड़ित के परिवार पर गैंग रेप का आरोप मढ़ दिया गया। आरोप में पीड़ित एक 70 वर्षीय महिला को दिखाया गया जिसने वर्ष 2010 में भी रेप का आरोप लगाया था।

इस मामले में आरोपी आशुतोष सहित उनके दो छोटे भाइयो को भी बना दिया गया व उनके 60 वर्षीय चाचा को भी इसमें फसा दिया गया। इस मामले में पीड़ित 9 महीने जेल में सजा काट कर आया जिसके बाद कोर्ट ने पीड़ित को जांच के आधार पर जमानत पर रिहा कर दिया। पीड़ित ने बताया कि मेरे को सिर्फ फसाया जाता तो वो जैसे तैसे झेल लेते लेकिन उनके दो छोटे भाई को भी फसा दिया गया जिसके कारण वह बहुत तनाव में है। एक छोटे भाई कि उम्र 22 साल है व दूसरे कि 28 साल। वहीं उनके 60 वर्षीय वृद्ध चाचा को भी इसमें आरोपी बनाया गया है। आरोपी ने हमें बताया कि साहब अब आप ही बताओ कि यह सब देख कर आपको क्या लग रहा है।

पीड़ित परिवार ने कहा कि अगर सभी मामलो की सीबीआई जाँच नहीं कराई जाती है तो वह सब मिलकर आत्महत्या कर लेंगे। पीड़ित ने बताया कि जिन भाजपा नेताओ को उन्होंने जी तोड़ मेहनत कर चुनाव जिताया वहीं आज उनकी सहायता को आगे नहीं आ रहे है।

इससे पहले भी लगातार मामलो में फसाये जाने के कारण पीड़ित ने इस्लाम धर्म कबूलने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा कि मैंने इस आस में यह धमकी दी कि शायद मीडिया हमारे मसले को उठा कर हमारी बात सरकार तक पहुँचाये व सभी मामलो की सीबीआई जाँच हो लेकिन इसका नतीजा भी शून्य ही निकला।

बीजेपी नेता वीरेंदर सिंह से क्यों है पीड़ित की दुश्मनी
दरअसल वीरेंदर सिंह 2007 में नलके के निशान से चुनाव मैदान में कूदे थे जिसके विपक्ष में पीड़ित के चाचा डीजल नल के निशान से कूद पड़े। पीड़ित के परिवार को इसके चलते 17000 से अधिक वोट पड़ गए जिसके कारण वीरेंदर सिंह जीतते जीतते हार गए। नतीजे वाली रात ही वीरेंदर के गुर्गो द्वारा पीड़ित के घर में आग लगवा दी गई जिसमे पीड़ित का पूरा घर जल कर राख हो गया।

वहीं दो घटनाओ में पीड़ित के पिता व माता की भी जान चली गयी जिसका आरोप मौजूदा बीजेपी नेता वीरेंदर सिंह पर लगता आया है। वहीं इस समय वीरेंदर उसी मंदिर के संरक्षक भी है जिसपर केस कर पीड़ित ने वहां से सिंघल का कब्ज़ा हटवाया था। मंदिर मामले में सिंघल के पिता जी फरार चल रहे है जिनपर करोडो रूपए के गभन का आरोप है।

वहीं आशुतोष के आरोपों व मुकदमो की लिस्ट देख कर कोई भी पीड़ित के द्वारा लगाए जा रहे शोषण के आरोपों से कन्नी नहीं काट सकता है। खैर आशुतोष पांडेय का किस्सा खुद शोषण की अलग गाथा लिख रहे है। फिलहाल पीड़ित के चाचा जेल में बंद है।


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