न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें सतर्क रहना होगा कि अफगानिस्तान की नाजुक स्थिति का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश न करे।
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76 वें सत्र को संबोधित किया। सम्बोधन के शुरुआत में उन्होंने कोरोना में जान गंवाने वालों के लिए श्रद्धांजलिअर्पित की।
उन्होंने कहा कि गत डेढ़ वर्ष से पूरा विश्व, 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का सामना कर रहा है। ऐसी भयंकर महामारी में जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूं और परिवारों के साथ अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं उस देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं जिसे लोकतंत्र की माँ का गौरव हासिल है। लोकतंत्र की हमारी हजारों वर्षों की महान परंपरा ने इस 15 अगस्त को भारत ने अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश में प्रवेश किया। हमारी विविधता, हमारे सशक्त लोकतंत्र की पहचान है। एक ऐसा देश जिसमें दर्जनों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अलग-अलग रहन-सहन, खानपान हैं। ये Vibrant Democracy का बेहतरीन उदाहरण है।
खुद का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि एक छोटा बच्चा जो कभी एक रेलवे स्टेशन की टी स्टॉल पर अपने पिता की मदद करता था वो आज चौथी बार भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर UNGA को संबोधित कर रहा है।
भारत की वैक्सीन निर्माण क्षमता के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं UNGA को ये जानकारी देना चाहता हूं कि भारत ने दुनिया की पहली DNA वैक्सीन विकसीत कर ली है जिसे 12 साल से ज्यादा आयु के सभी लोगों को लगाया जा सकता है। भारत के वैज्ञानिक एक नेजल वैक्सीन के निर्माण में भी लगे हैं। मानवता के प्रति अपने दायित्व को समझते हुए भारत ने एक बार फिर दुनिया के ज़रूरतमंदों को वैक्सीन देनी शुरू कर दी है।
सरकार की कल्याण कारी योजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 7 वर्षों में भारत में 43 करोड़ से ज्यादा लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा गया है। 36 करोड़ से अधिक ऐसे लोगों को बीमा कवच मिला है जो पहले इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे। 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज का लाभ देकर उन्हें क्वालिटी हेल्थ से जोड़ा है।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान संकट पर भी विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि अफ़ग़ानिस्तान की नाजुक स्थिति का कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश न करे। उन्होंने कहा कि वइस समय अफगानिस्तान के लोगों को मदद की जरूरत है, इसमें हमें अपना दायित्व निभाना ही होगा।
उन्होंने कहा कि Regressive Thinking के साथ , जो देश आतंकवाद का पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं , उन्हें ये समझना होगा कि आतंकवाद, उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए ना हो।
अंत में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली लगातार उठ रहे प्रश्नों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को स्वयं को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी इफेक्टिवनेस को सुधारना होगा, रिलायबिलिटी को बढ़ाया होगा। UN पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।