ख़राब पढ़ाई के कारण IIT से निकाले गए 90% छात्र आरक्षित श्रेणी के: रिपोर्ट

रुड़की : रिपोर्ट के अनुसार 90% छात्र ख़राब पढ़ाई के कारण निकालने वाले आरक्षित श्रेणी से हैं ।

देश भर में आरक्षण को लेकर गुणवत्ता की बहस आम तौर पर हर जुबान पर फफूंद की तरह बैठ चुकी है जिसमे विरोधी व पक्षधर अलग अलग तथ्य पेश करते आये है। आज हम आपके लिए एक ऐसे ही रिपोर्ट लेकर आये है जिसमे IIT जैसे संस्थानों के आंकड़े शामिल किये गए है।

दुनिया के सबसे मुश्किल एडमीशन टेस्ट का तमगा चस्पा किये बैठे JEE – एडवांस के टेस्ट से IIT जैसे सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एडमीशन लिए जाते है ।

करीब 14 लाख बच्चे थोक में फॉर्म भरते है पर सफल खुदरा मार्किट की तरह सिर्फ 9 हज़ार के आस पास रह जाते है, जिसमे भी पसंद का कोर्स और कॉलेज कुछ ऊपर के ज्ञानियों(रैंक धारियों) को ही मिल पाता है जिससे यह प्रतिशत मात्र 0.3 को किसी तरह छू पाता है । अब हमें लगता है इतना आपको डराने के लिए काफी होगा की IIT है क्या चीज ?

IIT में हो रही उच्च स्तर की पढ़ाई को मेरिट धारी तो बिना किसी मुश्किलों के निकाल लेते है पर मामला आरक्षण से एडमिशन लिए छात्रों के साथ फंस जाता है। IIT रुड़की में हुए कुल ड्राप आउट्स में कुल 90 प्रतिशत छात्र आरक्षित वर्ग से शामिल थे जिसके कारण कभी कभी आरक्षण व्यवस्था पर ही सवालिया निशान खड़ा हो जाता है।

दरअसल आरक्षण के कारण 50 प्रतिशत सीटों पर IIT को अपनी साख से समझौता कर पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों को एडमिशन देना पड़ता है। IIT द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार सामान्य वर्ग के छात्रों का एवरेज CGPA 8.09 रहता है वही OBC वर्ग के छात्रों का 6.6 और SC/ST वर्ग के छात्रों का CGPA 5.09 पर ही अटक जाता है।

IIT कानपूर के एक प्रोफेसर ने हमें बताया कि ऐसे छात्र कॉलेज के स्तर की पढाई नहीं कर पाते है उनका दिमाग इसके लिए तैयार नहीं रहता है और कभी कभी दबाव में छात्र आत्महत्या तक कर लेते है।

प्रोफेसर ने कहा कि “पिछड़े वर्ग के छात्र जो मुख्य मेरिट में अपनी जगह बनाते है वह छात्र बहुत अच्छा करते है परन्तु आप अगर किसी को जबरदस्ती छूट देकर IIT में दाखिला करवाते है तो आप उनके साथ ही छल कर रहे है” ।

आगे प्रोफेसर साहब कहते है कि मान लिया जाए कि ऐसे छात्र किसी तरह पास भी हो जाये तो क्या 5 CGPA में कोई कंपनी उन्हें ले जाएगी ? यह खुद उन छात्रों को अंधकार में धकेलने जैसा होगा और इस कारण से ही IIT के प्लेसमेंट पर कभी कभी गलत प्रभाव पड़ता है”।

केरल के इंजीनियरिंग कॉलेज में हुए सर्वे में यह सामने निकल कर आया कि वर्ष 2004-08 में एडमिशन पाने वाले SC/ST वर्ग छात्रों में से सिर्फ 17.7% छात्र ही अपनी इंजीनियरिंग बिना फ़ैल हुए पूरी कर पाय थे वहीं OBC से आने वाले महज 40% छात्र ही अपनी पढ़ाई पूरी कर पाए थे ।

+ posts

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

जानिए : कैसे बना IIT खड़गपुर का छात्र सबसे बड़ा नक्सली नेता

Next Story

टिकट वितरण के बाद कांग्रेस मे महाभारत शुरु

Latest from स्पेशल

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, शिक्षण संस्थानों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण को बताया असंवैधानिक

बिलासपुर– छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में 50% से अधिक आरक्षण को असंवैधानिक बताया है, हाईकोर्ट…