दरभंगा: बिहार में बीते दिनों पासवान समाज की एक बेटी का शव बगीचे से मिलने के बाद हड़कंप मच गया था। जिसके बाद जाति देखकर न्याय देने वाली भीम आर्मी व उसके सरगना चंद्रशेखर आज़ाद ने सोशल मीडिया पर झूठ फैलाना शुरू कर दिया था।
चंद्रशेखर ने पूर्व आर्मी के जवान अर्जुन मिश्रा पर आरोप लगाते हुए लिखा कि “दरभंगा में पासवान समाज (SC) की नाबालिक बहन के साथ एक्स आर्मी जवान अर्जुन मिश्रा ने रेप करके उसकी हत्या कर दी”। जिसपर पूरी भीम आर्मी व दलित नेता ने दिन भर सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों का ताँता लगा डाला। खैर नाबालिक नहीं नाबालिग होता है।
अर्जुन मिश्रा आर्मी का एक जवान था। भारत को माता मानता था? ‘भारत की बेटी’ का जिस्म नोचते वक्त उसकी रूह नहीं थरथराई? इस दरिंदे को फांसी दो।
— Suraj Kumar Bauddh (@SurajKrBauddh) July 4, 2020
खबर की गंभीरता को देखते हुए हमने पुरे केस की जाँच पड़ताल की तो मामला कुछ और ही निकला। दरअसल वरीय पुलिस अधीक्षक बाबूराम ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि जिले के पतोर सहायक थाना क्षेत्र के पतोर गांव में पिछले बुधवार को बागीचे से एक लड़की का शव बरामद किया गया था, जिसकी पहचान ज्योति पासवान के रूप में की गई।
नेशनल ट्रेंड #3 हो रहा है, काश ये सभी ट्विट्टर वाले जमीन पर उतर एक दिन के लिये नीतीश कुमार के बंगले को घेरते तो चुटकी में रिटायर्ड फौजी मिश्रा गिरफ्त में होता, शर्म को नीतीश कुमार सरकार में होते हुये भी तुम एक बच्ची के दुष्कर्म आरोपी को पकड़ नही पा रहे हो।#JusticeForJyoti
— बहुजन शेर सुनिल अस्तेय (@SunilAstay) July 4, 2020
आगे कुछ देर बाद आई पोस्टपार्टम रिपोर्ट ने भीम आर्मी के झूठ की सभी पोल खोल डाली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ज्योति पासवान की मृत्यु करंट लगने के कारण हुई है व ज्योति के किसी भी प्रकार के दुष्कर्म की खबरों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने नकार दिया है।
ऐसे में समाज में जहर घोलने के मकसद में लगी भीम आर्मी की एक बार फिर पोल खुल गई है जो झूठी मीडिया रिपोर्ट का सहारा लेकर दुष्प्रचार करने से बाज नहीं आते है।
ज्ञात होकि यह कोई पहला मामला नहीं है जब भीम आर्मी चीफ व उनकी सेना ने झूठ नहीं परोसा हो। इससे पहले हमारी कई रिपोर्ट में इनके नेताओ की पोल खोली गई है।
साथ ही भीम आर्मी में खुद ऐसे कई नेता मौजूद है जो आये दिन अश्लील शब्दों व महिलाओ के लिए बेहद घटिया बाते लिखते रहते है।
ऐसे में दलित नेताओ की इस फ़ौज में मुखिया बन कर उभरे चंद्रशेखर मामले की गंभीरता को लेकर माफ़ी मांगेंगे ? या किसी कार्यकर्ता पर फिर भार डाल दिया जायेगा।
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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!