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ग़ाज़ीपुर पीड़ितों से मिलने आये ब्राह्मण मंत्री के खिलाफ हुई नारेबाजी, दरोगा को बर्खास्त न करने पर आत्महत्या करने का एलान

ग़ाज़ीपुर: ग़ाज़ीपुर में बीते दिनों हुई फौजी की निर्मम पिटाई में हमारी रिपोर्ट के बाद राजनीतिक गलियारे में मचे बवाल के बाद पीड़ितों से मिलने पहुंचे राज्यमंत्री आनंद स्वरुप शुक्ला को गाँव वालो का जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा।

गाँव वालो ने पुलिस महकमे के खिलाफ नारो की झड़ी लगा दी जिसमे पीड़ित के परिजन दीपेश पांडेय ने हमसे खास बातचीत में हमें पूरी घटना का विवरण बताया। पीड़ित दीपेश के अनुसार राज्यमंत्री आनंद स्वरुप शुक्ला ने उन्हें आश्वाशन दिया है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाएगी।

वहीं लाइन हाजिर होने भर से पीड़ित का परिवार बेहद आक्रोश में है उन्होंने कहा कि दरोगा व अन्य जातिवादी पुलिस वालों की बर्बरता झेलने के बाद उन्हें बर्खास्तगी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

ज्ञात होकि दरोगा रमेश कुमार राम द्वारा पीड़ित को बड़ी निर्ममता से पीटा गया था जिससे पीड़ितों की चमड़ी तक उधड़ गयी थी। वहीं दलित दरोगा द्वारा उस रात का खौफनाक वाकया हमसे दीपेश पांडेय ने साझा किया है।

जनेऊ उतार दरोगा ने अपने जूते के नीचे कुचलते हुए कहा तुम ब्राह्मण ठाकुर को ठीक करने आया हु
दीपेश पांडेय ने हमें बताया कि बर्बर पिटाई के दौरान दरोगा द्वारा पीड़ितों के जनेऊ उतरवा लिए गए थे। वहीं दरोगा ने पवित्र जनेऊ को अपने जूते से उसे कुचलते हुए गालिया भी बकी थी। दरोगा ने ठाकुर ब्राह्मणो को ठीक करने के लिए पुलिस में भर्ती होने की बाते करी गयी थी।

हे राम कहने पर जय भीम बोलने के लिए कहता था
रात भर पीड़ितों को मारने पर जब भी करहा कर पीड़ितों के मुँह से हे राम निकलता था तो आरोपी दरोगा उनसे जय भीम बोलने के लिए बोलता था। जिसपर उनकी और पिटाई की जाती थी।

जिस माँ ने जन्म दिया उसकी तेहरवी नहीं कर पाए, हमने जरूर कोई पाप किये होंगे जो ऐसे दिन देखे
दिलीप पांडेय ने हमें बताया कि उन्हें अपनी माँ की तेहरवी न कर पाने का सबसे अधिक दुःख है। हम ब्राह्मण होकर मर क्यों नहीं गए? अगर हमें इंसाफ नहीं मिला तो आत्महत्या कर लेंगे। हमारे साथ जो हुआ है वह बयान भी करने में रूह काँप जाती है।

बर्ख़ास्तगी से कम कुछ नहीं
लाइन हाजिर किये जाने से पीड़ित परिवार बेहद नाराज नजर आया उन्होंने दरोगा को बर्खास्त व अन्य पुलिस कर्मियों को सस्पेंड करने की मांग की है

अगर फलाना दिखाना नहीं होता तो हमारी FIR भी नहीं लिखी जाती
बार बार बातचीत के दौरान दिलीप पांडेय ने हमारा शुक्रिया किया उन्होंने कहा साहब अगर आप न होते तो हमारी कोई सुनवाई ही नहीं थी। उन्होंने आगे भी आवाज को उठाने की गुजारिस की है।

खैर पुलिस विभाग की ओर से अभी भी पीड़ित को ही कटघरे में किया जा रहा है।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!

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