सुदर्शन TV के प्रोग्राम पर हाईकोर्ट की रोक, चव्हाणके बोले- ‘सावरकर की किताब छपने पर भी लगा था बैन’

नई दिल्ली: UPSC में मुस्लिमों के चयन वाले कार्यक्रम पर कोर्ट ने रोक लगा दी है।

सिविल सेवा के लिए देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाने वाली UPSC परीक्षा को लेकर अब एक विवाद खड़ा हो गया है। ये विवाद तब खड़ा हुआ जब सुदर्शन TV के संपादक सुरेश चव्हाणके ने UPSC में मुसलमानों की चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े करे थे।

उधर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति नवीन चावला ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व और मौजूदा छात्रों की ओर से दायर याचिका पर केन्द्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग, सुदर्शन टीवी और उसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

कभी सावरकर अब सुदर्शन: सुरेश चव्हाणके

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कार्यक्रम पर रोक लगाए जाने के बाद सुरेश चव्हाणके ने अपने कार्यक्रम की तुलना सावरकर की किताब से की है। उन्होंने कहा कि “विश्व के इतिहास में पहली बार किसी शो के प्रसारण से पहले लगी रोक। सावरकर की पुस्तक पर भी छपने से पहले लगा था बैन अब अब सुरेश और सुदर्शन। सुरेश चव्हाणके आगे बढ़ो।”

हमारे अधिकारों का हनन, जाएंगे सुप्रीम कोर्ट:

सुदर्शन के प्रधान सम्पादक चव्हाणके ने रोक को अधिकारों का हनन करार दिया है। उन्होंने कहा कि “बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएँगी ? सारे तथ्य हमारे पास है। हम सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में जाएंगे और उनके ध्यान में लाकर देंगे की न्यायालय के साथ कैसे धोखा हुआ है। हमारे अधिकारों के हनन के लिए कैसे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को छिपाया गया है।”

क्यों फंसा सुदर्शन TV का प्रोग्राम विवादों में:

सुरेश चव्हाणके ने अपने कार्यक्रम का एक प्रोमो वीडियो साझा किया था। इसमें वह कहते नजर आ रहे हैं “अचानक आईपीएस आईएएस में मुसलमान कैसे बढ़ गए ? सोचिए अगर मुस्लिम अधिकारी आपके जिलाधिकारी होंगे और मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा ?”। उन्होंने आगे ‘जामिया के जिहादी’ शब्द का भी इस्तेमाल किया। चौहान के इसी वीडियो पर बवाल मचा है। आईपीएस एसोसिएशन ने भी उनके इस बयान की निंदा की है। उधर देश भर के तमाम आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने भी इसे निंदनीय बताया है।

प्रशासनिक संस्थाओं ने की निंदा:

इस पूरे मामले पर आईपीएस एसोसिएशन ने बयान जारी किया। कहा, ‘ सुदर्शन टीवी पर एक स्टोरी प्रमोट की जा रही है, जिसमें सिविल सर्विसेस के उम्मीदवारों पर धर्म के आधार पर निशाना साधा जा रहा है। हम इस सांप्रदायिक और गैर जिम्मेदाराना पत्रकारिता की निंदा करते हैं।’

उधर, इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने भी बयान जारी किया है और कहा, ‘ नोएडा के एक चैनल ने अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा आईएएस और आईपीएस ज्वाइन करने को लेकर एक हेट स्टोरी चलाई है। यह अपमानजनक है। हमें उम्मीद है कि यूपी पुलिस और प्रशासन इसके खिलाफ कार्रवाई करेगा’।


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