हैदराबाद (AP): ईसाई धर्मगुरुओं द्वारा हिन्दू जाति प्रमाण पत्रों के दुरुपयोग को लेकर NGO ने बड़ा खुलासा किया है।
लीगल NGO ने आंध्रप्रदेश में ईसाइयों धर्मगुरुओं पादरियों द्वारा हिंदू जाति प्रमाण पत्र के दुरुपयोग का दावा किया है। दरअसल लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम नामक NGO ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि 29,841 ईसाई पादरी जिन्हे ‘आपदा राहत कोष’ के माध्यम से 5 हजार की एकमुुश्त मानदेय मिला है उनमें से 70% पादरी हिन्दू एससी एसटी ओबीसी का जाति प्रमाण पत्र लिए थे।
NGO ने राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त इस मानदेय को ईसाई धर्म में धर्म परिवर्तन के लिए प्रोत्साहन बताकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग दोनों आयोगों को पत्र लिखकर जांच कराने का अनुरोध किया है।इसके अलावा आंध्र प्रदेश के लिए तथ्य खोज समिति गठित करने का भी NGO ने अनुरोध किया है।
इस गैर सरकारी संगठन ने मामले की जांच करने के लिए आंध्र प्रदेश के राज्यपाल को भी पत्र लिखा है जिसमें कहा है कि ईसाई धार्मिक पादरियों के हिंदू समुदाय प्रमाण पत्र को रद्द करने की व्यवस्था करें, जैसा कि ये दोहरी धार्मिक पहचान दर्शाता है।
NGO ने राज्यपाल से इसे दोहरी धार्मिक पहचान बताकर इसके दुरुपयोग से अब तक प्राप्त लाभों के वमन के लिए भी अनुरोध किया है। NGO ने कहा कि चूंकि सरकार आंध्र प्रदेश ईसाई पादरियों को मासिक मानदेय का भुगतान शुरू करने जा रही है, इसलिए कीमती कर दाताओं के धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
Andhra Pradesh: We found that 70 % of 29,841 Christian pastors who received one-time honorarium of Rs. 5K through ‘Disaster Relief Fund’ are holding Hindu SC/OBC Caste Certificates.
Wrote to National SC & BC commissions on this state assisted incentive to convert to Christianity— Legal Rights Protection Forum (@lawinforce) September 10, 2020
हालांकि अब देखना होगा कि इस रिपोर्ट पर सम्बंधित आयोग किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।
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