आधार पंजीकरण के बाद उत्तराखंड के 88% मदरसा छात्र मिले थे फ़र्जी- रिपोर्ट

देहरादून: असम में सरकार सरकारी मदरसों को नवंबर से बंद करने की तैयारी में है। इसी बीच दैनिक भास्कर के कार्यकारी निदेशक व स्तम्भकार डॉ. भारत अग्रवाल ने उत्तराखंड में मदरसों की स्थिति पर स्तम्भ लिख बताया है कि आधार से खाते लिंक कराने की बारी आई तो उत्तराखंड 88 प्रतिशत का फर्जीवाड़ा सामने आया।

आगे बताया गया कि उत्तराखंड में मदरसों की लंबी कतार थी। कुछ समय पहले तक वहां सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 2 लाख 61 हजार 8 सौ मदरसे होते थे। कई दशकों से मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को हर महीने सरकारी खजाने से छात्रवृत्ति दी जा रही थी।

88% का मिला था फर्जीवाड़ा:

अंत में बताया कि फिर एक दिन उत्तराखंड सरकार ने इन बच्चों के बैंक खातों को आधार कार्ड नंबर के साथ जोड़ने के लिए कहा। फिर क्या था? 88 प्रतिशत मदरसे अपने छात्रों समेत गायब हो गए। साढ़े 14 करोड़ रुपए की सरकारी छात्रवृत्ति भी अब घटकर केवल 2 करोड़ रह गई है।

नवंबर से सरकारी मदरसे बंद:

उधर असम की भाजपा सरकार किसी भी धार्मिक शिक्षा को महत्व देने के पुरजोर विरोध में खड़ी हो गई है। अब सरकार के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक बयान में कहा कि “सभी राज्य संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा या कुछ मामलों में शिक्षकों को राज्य संचालित स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा और मदरसों को बंद कर दिया जाएगा। नवंबर में एक अधिसूचना जारी की जाएगी।”

सरकारी पैसे से कुरान की पढ़ाई नहीं:

असम मंत्री ने मदरसा शिक्षा पर स्पष्ट करते हुए कहा कि “मेरी राय में, सरकारी पैसे पर कुरआन नहीं पढ़ाया जा सकता है, अगर हमें ऐसा करना है तो हमें बाइबल और भगवद गीता दोनों को भी सिखाना चाहिए। इसलिए, हम एकरूपता लाना चाहते हैं और इस प्रथा को रोकना चाहते हैं।”


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