आगरा: ताजगंज के पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी में बच्चों के झगड़े में फर्जी एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद सेवानिवृत फौजी की पत्नी को जिन्दा जलाने के मामले में पुलिस ने एससी एसटी एक्ट को फर्जी पाया है। जिसके बाद विवेचना कर पुलिस ने मामले में एफआर लगा दी है।
ज्ञात होकि ताजगंज की पुष्पांजलि ईको सिटी कालोनी निवासी सेवानिवृत्त फौजी अनिल राजावत और पड़ोसी भरत खरे के बच्चों में छह अक्टूबर को विवाद हुआ था।
पीड़ित परिवार व पंचायत में मौजूद लोगो के अनुसार फर्जी एससी एसटी एक्ट में पैसे के लेन देन को लेकर काफी गहमा गहमी हुई थी। जिसको लेकर पीड़ित परिवार के मना करने पर उनको बेइज्जत व भरी सभा में मृतका संगीता को पुरुषो के पैर छूने को लेकर मजबूर किया गया था।
वहीं मास्क हटाकर चेहरे को दिखा दिखाकर भी पीड़ित परिवार के साथ अमानवीय हरकत करी गई थी। जिसके बाद आरोपियों ने पीड़िता संगीता पर जवलनशील पदार्थ छिड़क आग लगा दी थी। इलाज के दौरान संगीता ने दम तोड़ दिया था।
बात करने पर विवेचक सीओ सदर महेश कुमार ने बताया कि कालोनी के बयान के आधार पर एससी एसटी एक्ट की धारा हटाई गई है। कॉलोनी वासियों के मुताबिक खरे का परिवार अपने को कायस्थ बताया करता था। वहीं वह सोसाइटी का अध्यक्ष भी रह चूका था।
कालाेनी में किसी को उसकी जाति की जानकारी नहीं थी। मारपीट बच्चों के बीच हुई थी। अनिल और उनकी पत्नी ने किसी से मारपीट नहीं की। इसी आधार पर एससी एसटी एक्ट और मारपीट के आरोप खारिज हो गए है।
आगे उन्होंने बताया कि आग लोगो की गवाही के आधार पर मुकदमा फर्जी निकलकर सामने आया है। इस मुकदमे में एफआर लगा दी गई है। अब कालोनी में हुई पंचायत में शामिल हुए लोगों की तलाश की जा रही है। उनकी गिरफ्तारी की जाएगी।
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