वाराणसी: देश के नामचीन शिक्षा संस्थान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अब इंजीनियरिंग के प्रोफेसर छात्रों को वेद पढ़ाए जाएंगे। बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र में नए सत्र से ‘वैदिक इंजीनियरिंग और इंस्ट्रूमेंटेशन’ कोर्स की शुरुआत होगी।
एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि कोर्स में इंजीनियरिंग के प्रोफेसर छात्रों को नौका शास्त्र, धातु विज्ञान, विमान विद्या, सूर्य विज्ञान के साथ ही जल शोधन जैसे विषयों पर रिसर्च कराएंगे। इसके साथ ही छात्रों को वेद और संस्कृत की शिक्षा भी दी जाएगी।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केंद्र में आईआईटी के छात्रों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शिक्षा दी जाएगी, जिसके लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया गया है। वहीं डिप्लोमा एवं पीजी अगले सत्र से शुरू किया जाएगा। इन कोर्स में साइंस के स्टूडेंट अब वेद शिक्षा के माध्यम से संस्कृति से जुड़ेंगे। केंद्र में नए सत्र से शुरू होने वाले नए कोर्स को पढ़ाने के लिए असिस्टेंट प्रफेसर के पदों पर नियुक्ति भी की जाएगी।
वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्रोफेसर उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि,”इसमें तीन और पीजी के पाठ्यक्रम तैयार हो रहे हैं, एक यूजी का कोर्स तैयार हो चुका है। एक विषय वैदिक साइंस प्रौद्योगिकी और वैदिक योग विज्ञान में मूलत: पीजी और शोध के कार्य होंगे। केंद्र में नए सत्र से नए कोर्स चलाए जाएंगे, इसके लिए असिस्टेंट प्रफेसर के पदों पर नियुक्ति भी की जाएगी।”
बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र में वेदों के आधार पर मौसम की गणना भी की जाएगी। प्रोफेसर उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि हमारे सनातन धर्म में ज्योतिष, अंक शास्त्र के साथ वेदों के आधार पर पुराने समय में ऋषिगण मौसम की सटीक गणना करते थे। उन्हीं पद्धतियों के आधार पर नवनिर्मित भवन में वेदों के आधार पर मौसम की सटीक गणना भी की जाएगी।
काशी के बारे में भी PG कोर्स:
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जल्द ही अगले शैक्षणिक सत्र से ‘काशी अध्ययन’ के बारे में 2 वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू करेगा।
यह पाठ्यक्रम छात्रों को शिक्षाविदों के माध्यम से रहस्यवादी विरासत को रेखांकित करने में मदद करेगा। काशी के रहस्यों को समझने में रुचि रखने वाले भारत और विदेश के छात्र पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। यह उन्हें उस शहर के बारे में सिखाएगा जो दुनिया में सबसे पुराना है और जीवन का प्रतीक है, और पहले सड़कों के रूप में जाना जाता था।
सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि धार्मिक संस्कृति, संगीत परंपराएं, और काशी की मूर्तियों की कला दुनिया में हमेशा दिलचस्प और आश्चर्यजनक है।
सरकार ने कहा कि सामाजिक विज्ञान संकाय के तहत पाठ्यक्रम का पहला सत्र अगले साल जुलाई में शुरू होगा। डीन ऑफ सोशल साइंसेज फैकल्टी (बीएचयू) कौशल किशोर मिश्रा ने कहा कि एक समिति 30 दिसंबर तक पाठ्यक्रम संरचना तैयार करेगी। सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रो कौशल किशोर मिश्रा के नेतृत्व में सात सदस्यों की समिति एक रूपरेखा पर काम कर रही है और इसे 26 दिसंबर को समाप्त करने की योजना है।
आगे कहा कि पाठ्यक्रम संरचनाएं जनवरी में अकादमिक परिषद के समक्ष अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाएंगी। शिक्षा संस्कृति, इतिहास, धार्मिक हितों, जीवन के तरीकों और काशी की संपत्ति के बारे में होगी। उन्हें तुलसीदास, कबीर, प्रेमचंद, गौतम बुद्ध, रविदास की रचनाओं को समझने का अवसर मिलेगा। विदेशी छात्र काशी अध्ययन पाठ्यक्रम में भी प्रवेश ले सकते हैं जो चार सेमेस्टर में होगा हमें विश्वास है कि अच्छे ज्ञान, सूचना, समाचार और तथ्यों को साझा करने से समाज पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।