दलित प्रिंसिपल ने पाँव न छूने पर दी SC ST एक्ट की धमकी, ब्राह्मण कर्मचारी ने दी जान, 7 दिन बाद भी FIR नहीं हुई दर्ज

लखनऊ: अयोध्या के रहने वाला एक पिता अपने बेटे की आत्महत्या की FIR दर्ज कराने के दर दर की ठोकरे खा रहा है। SC ST एक्ट की धमकियों से आहात होकर अपने जान देने वाले नौजवान प्रभु नाथ मिश्रा के पिता को अयोध्या एक स्थानीय थाने में तहरीर दिए सात दिन बीत गए लेकिन उनकी FIR नहीं दर्ज हो सकी। मामला राजर्षि दशरथ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय का है जहाँ कार्य करने वाले प्रभुनाथ मिश्र ने दलित प्रिंसिपल ज्ञानेंद्र कुमार की प्रताड़ना और SC/ST एक्ट की धमकी से परेशान होने के बाद जहर खाकर जान दे दी थी।

यह था मामला
घटना 29 जुलाई 2024 की है, जब प्रभुनाथ मिश्र अपने कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर/लिपिक के पद पर कार्यरत थे। उस दिन, एमबीबीएस 2020 बैच की दो छात्राएं, ऋतु और निर्मला कुमावत, बिना लाइन के रजिस्ट्रेशन स्लिप कटवाने का दबाव बना रही थीं। प्रभुनाथ ने उन्हें नियमों का पालन करने और लाइन में लगने के लिए कहा, जिससे नाराज होकर दोनों छात्राओं ने उसे धमकाया और कुछ अन्य छात्रों के साथ मिलकर प्रभुनाथ के साथ मारपीट की।

शाम को घर लौटने पर प्रभुनाथ ने ये सारी बातें अपने परिवार को बताई। इसके बाद, प्राचार्य ज्ञानेंद्र कुमार ने इस मामले की जाँच के लिए एक समिति गठित की। समिति ने 1 अगस्त 2024 को प्रभुनाथ को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया और उसकी बात सुनने के बाद उसे दोषमुक्त कर दिया। प्रभुनाथ को 2 अगस्त 2024 से अपनी ड्यूटी पर वापस लौटने का निर्देश दिया गया।

प्रिंसिपल की धमकी के बाद आत्महत्या
प्रभुनाथ ने 2 अगस्त 2024 को अपनी ड्यूटी फिर से ज्वाइन की, लेकिन उसी दिन उक्त छात्राओं ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर फिर से उसे धमकाया और जान से मारने की धमकी दी। प्रभुनाथ ने इस घटना की सूचना मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ज्ञानेंद्र कुमार को दी। लेकिन प्राचार्य ने उसे अपने चैम्बर में बुलाकर भला-बुरा कहा और धमकी दी कि अगर वह उन छात्राओं के सामने पूरे मेडिकल स्टॉफ/छात्रों के सामने माफी नहीं मांगेगा और उनके पैर नहीं छुएगा, तो उसके खिलाफ SC/ST एक्ट और छेड़खानी का मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भिजवा देंगे।

लगातार हो रही मानसिक प्रताड़ना और धमकियों से तंग आकर प्रभुनाथ मिश्र ने 7 अगस्त 2024 को जहर खाकर आत्महत्या कर ली। प्रभु नाथ को तुरंत अयोध्या मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहाँ उसकी स्थिति बिगड़ने पर उसे लखनऊ के पीजीआई राम मनोहर लोहिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। लेकिन अस्पताल पहुँचने पर, उसे मृत घोषित कर दिया गया।

मरने के 40 मिनट बाद पीड़ित पर FIR
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्रभुनाथ की आत्महत्या के बाद, प्राचार्य ज्ञानेंद्र कुमार ने अपने बचाव के लिए 29 जुलाई की घटना को लेकर 8 अगस्त को एक प्राथमिकी दर्ज करवाई। यह प्राथमिकी उस समय दर्ज करवाई गई जब प्रभुनाथ की मौत हो चुकी थी। प्रिंसिपल ने अपने पद का दुरुपयोग कर छात्राओं से तहरीर दिलवाकर FIR दर्ज करवाई ताकि उनके ऊपर किसी प्रकार का आरोप न लग सके। पुलिस द्वारा भी मामले की गंभीरता को नजरअंदाज करते हुए 7 दिन बाद भी प्रभुनाथ की आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज नहीं की गई है।

7 दिन से न्याय के लिए भटक रहा परिवार
प्रभुनाथ मिश्र के परिवार का आरोप है कि 7 दिन बीत जाने के बाद भी प्राचार्य और छात्राओं के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई है। उन्होंने स्थानीय थाने में तहरीर दी थी लेकिन अब तक FIR दर्ज नहीं की गई। पिता ने न्याय की मांग करते हुए कहा है कि इस मामले में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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