बढ़ते आरक्षण और पार्टियों की चुप्पी के बाद बोले RSS चीफ़- ‘आरक्षण पे हो चर्चा…!’

नईदिल्ली : मोहन भागवत नें आरक्षण पर बहस करने को लेकर बड़ी बात कही है ।

देश में जहां आरक्षण सामाजिक न्याय से बढ़कर अगले 5 सालों के लिए सत्ता हथियाने का साधन बन चुका है वहीं हर दल इसपर बहस करने के लिए भी तैयार नहीं होता है । हाल ही में छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार नें राज्य में 82% आरक्षण करने की घोषणा की है जो कि देश में पहली बार होगा वहीं इसके बाद हर राज्यों में आरक्षण बढ़ाने का ट्रेंड चालू कर दिया गया है ।

इधर आरक्षण पर पार्टियों की खामोशी पर खरा उतरने की कोशिश की और उन्होंने कहा कि आरक्षण पर बहस हो ।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत रविवार को ज्ञान उत्सव कार्यक्रम में थे जिसका आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा संस्थान उत्थान न्यास द्वारा मान्यता प्राप्त इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में किया गया था

इस कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि “आरक्षण के पक्ष में और इसके खिलाफ लोगों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत होनी चाहिए।”

भागवत ने कहा कि उन्होंने पहले भी आरक्षण पर बात की थी, लेकिन इसने बहुत शोर मचाया और पूरी चर्चा वास्तविक मुद्दे से हट गई।

उन्होंने कहा कि “आरक्षण का पक्ष लेने वालों को उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए जो इसके खिलाफ हैं और इसी तरह जो इसका विरोध करते हैं, उन्हें इसके विपरीत करना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि आरक्षण पर चर्चा हर बार तीखी कार्रवाइयों और प्रतिक्रियाओं में होती है जबकि इस दृष्टिकोण पर समाज के विभिन्न वर्गों में सामंजस्य की आवश्यकता है।”

भागवत ज्ञान उत्सव के समापन सत्र में बोल रहे थे जो प्रतियोगी परीक्षाओं पर था। इससे पहले, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की वकालत की थी, जिसमें कई दलों और जाति समूहों की तीखी प्रतिक्रियाएँ थीं।

भागवत ने कहा कि आरएसएस, भाजपा और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीन अलग-अलग संस्थाएं थीं और किसी को दूसरे के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।”

उन्होंने कहा कि एक बार सत्ता में आने के बाद, सरकार और राष्ट्रीय हित प्राथमिकता बन जाता है।

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