नईदिल्ली : पत्रकारिता का सीधा उद्देश्य जो गलत है उस पर ऊँगली उठाना होता है | आज के दौर में पत्रकारिता का दायरा रेडियो टेलिविज़न और अखबार से बढ़कर ऑनलाइन तक पहुंच गया है | मतलब फिंगर टिप में खबर आपके सामने प्रस्तुत हो जाएगी |
बीबीसी नें हाल ही में विश्व में बढ़ती फ़ेक न्यूज़ की समस्याओं को लेकर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया था | जिसमें भारत, कीनिया व नाईजीरिया के मोबाइल यूजर्स के ऊपर रिसर्च तैयार की गई थी | इस पर कुछ अस्पष्ट तथ्य भी प्रस्तुत किए गए थे |
रिपोर्ट में “दिवाली” को “दिवालिया” , वहीं एक न्यूज़ पर “बेटर इंडिया” नें जताई थी आपत्ति:
बीबीसी द्वारा फेक न्यूज पर जारी रिसर्च में कई खामियां सामने आईं थी, रिपोर्ट में दिवाली को दिवालिया लिख दिया गया था | इसके अलावा चर्चित न्यूज़ बेबसाईट “बेटर इंडिया” की एक खबर पर भी सवाल उठाए गए थे जिसमें आपति दर्ज कराने पर उसे सुधारा गया | इसके पहले रिपोर्ट को कई बार उसे संशोधित भी किया गया बाद में कई पन्नों का रिसर्च बीबीसी नें अपने अकाउंट से डिलीट ही कर दिया है |
राष्ट्रवाद के नाम पर चलती है फ़ेक न्यूज़ : बीबीसी
अपने रिसर्च नें बीबीसी नें कहा कि भारत में लोग हिंदुत्व, राम मंदिर व आरक्षण जैसे भावनात्मक मुद्दों की खबरों को गलत तरीके से फैलाते हैं | कभी-कभी तो ये खबरें भीड़ का हिस्सा बनकर जान लेने तक भी आ जाती है |
देश में जगह-जगह कराए गए सेमिनार में वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिप्टी सीएम यूपी दिनेश शर्मा जैसे चर्चित चेहरे इस पहल का हिस्सा बने थे |
सिक्के का दूसरा पहलू बताता है कि देश में अभी भी मीडिया साक्षरता का दर केवल नाम मात्र का ही है, इसे लेकर हमें जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है |
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