उदित राज त्याग चुके है हिन्दू धर्म, अंबडेकर की 22 कसमे जो हिन्दू धर्म से नफरत करने पर विवश करती है

नई दिल्ली: स्पेस एजेंसी इसरो हो या भारतीय क्रिकेट टीम हर चीज में ब्राह्मण बनाम दलित करने के लिए विवादों में घिरे रहने वाले उदित राज पहले राम राज हुआ करते थे। दलितों के नाम पर राजनीती व सनातम धर्म को पाखंड बताने वाले इस दलित नेता का राजनीती के अलावा दूसरा धंधा धर्म परिवर्तन का भी रहा है।

हज़ारो हिन्दू दलितों को बुद्धिज़्म में कन्वर्ट कर चुके राम राज उर्फ़ उदित राज पर आज हम एक पूरी रिपोर्ट लेकर आये है कि कैसे जेएनयू से पढ़ कर निकले राम राज वक़्त के साथ उदित राज बन गए व कैसे इनकी दलित राजनीती में पैठ बननी शुरू हुई।

वर्ष 1959 को उत्तर प्रदेश के ग्राम रामनगर में जन्मे राम राज का जन्म एक खटीक परिवार में हुआ था। शुरू से ही उदित राज के मन में हिन्दू रीतिरिवाजों को लेकर मन में कुंठा सी रहती थी। उन्होंने धीरे धीरे बाबा साहब आंबेडकर को पढ़ना लिखना शुरू किया।

इलाहाबाद विश्विद्यालय से स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वर्ष 1980 में वह आगे की पढाई जेएनयू से करने दिल्ली आ गए। पढाई पूरी करने के बाद उनका चयन 1988 में IRS विभाग में बतौर डिप्टी कमिश्नर के लिए हो गया। यहाँ से उन्होंने दलितों को सनातन धर्म से अलग करने का मन बनाया।

उनके मुताबिक हिन्दू धर्म उन्हें इंसान की तरह जीने की इज़ाज़त नहीं देता है इसी कारण से वह इस मुहीम में जुट पड़े।

इसी कड़ी में उदित राज ने वर्ष 1997 अखिल भारतीय परिसंघ की स्थापना की जिसके तहत उन्होंने वर्ष 2001 में हज़ारो समर्थको संग हिन्दू धर्म को त्याग दिया था। इस दौरान उन्होंने अपना नाम राम राज से बदल कर उदित राज कर लिया था। तब से उदित राज दलितों को अन्य धर्मो में कन्वर्ट करने के अपने अजेंडे में जुट पड़े।

राम राज उर्फ़ उदित राज के अनुसार वह वो कार्य कर रहे है जो कांशी राम नहीं कर सके। उदित राज कन्वर्शन को पोलिटिकल टूल की तरह इस्तेमाल कर अपनी मांगे मनवाने के लिए आगे आये।

शुरू से ही उदित राज भाजपा सरकार के विरोधी रहे थे। उनका मानना है कि जितने वर्षो तक भाजपा सरकार में रहेगी उतनी तेजी से और उतने ज्यादा ही दलित हिन्दू धर्म को त्याग देंगे। निजी क्षेत्र में आरक्षण को लागु करने कि उनकी जिद्द ने उनको भाजपा से निकलवाने का बड़ा कारण बनाया था।

शुरू किया था नियो बुद्धिस्ट मूवमेंट
बीआर आंबेडकर के दलित बुद्धिस्ट मूवमेंट को बढ़ाते हुए उदित राज हज़ारो दलितों को बौद्ध धर्म में बदल चुके है। 1956 में बीआर आंबेडकर के साथ करीब 5 लाख दलितों ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था जिससे उदित राज भी प्रभावित हुए थे।

उसी को बढ़ाते हुए उदित राज ने उसके नए रूप को नियो बुद्धिस्ट मूवमेंट में बदल दिया व तेजी से दलितों का धर्म परिवर्तन करवाना शुरू कर दिया जिसमे सबसे अधिक चर्चा उनके झज्जर में बदले गए सैकड़ो दलितों के धर्म से होनी शुरू हुई थी।

इस आंदोलन में 22 कसमे बौद्ध धर्म में खिलाई जाती है जो हिन्दू धर्म से नफरत का आधार बन कर समाज में द्वेष पैदा करती है। इनमे से कुछ कसमे इस प्रकार है :

1) मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश पर न विश्वास करूँगा न उनकी पूजा करूँगा
2) मैं राम व कृष्णा पर विश्ववास नहीं करूँगा और न ही उन्हें भगवान का अवतार मानूँगा
3) मैं गौरी, गणेश व अन्य हिन्दू देवी देवताओ की न तो पूजा करूँगा और न उनपर श्रद्धा रखूँगा
4) मैं भगवान के अवतार लेने में कोई विश्वास नहीं रखूँगा
5) मैं यह भी नहीं मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे। यह सिर्फ एक फर्जी कल्पना व प्रोपेगैंडा है
6) मैं न तो अबसे कोई श्रद्धा रखूँगा न ही पिंड दान करूँगा
7) मैं ब्राह्मणो द्वारा किये जा रहे किसी भी कर्मकांड में भाग नहीं लूंगा
8) मैं हिन्दू धर्म को त्यागता हु जो मानवता का अनादर करता है व मानवता के उद्धार में एक बाधा पैदा करता है।

Inscription of 22 vows at Deekshabhoomi, Nagpur

इन सभी को पढ़ने में यही प्रतीत होता है कि यह सब कसमे हिन्दू धर्म से नफरत करने के मकसद से तैयार की गई थी और आपको जानकार आश्चर्य होगा की यह सब कसमे बाबा साहब आंबेडकर ने शामिल करवाई थी जिसे आज हम दलित बुद्धिस्ट मूवमेंट से जानते है व ऐसी कसमे लाखो दलितों को सनातन धर्म से द्वेष करने को प्रेरित करती है।

क्या इन कसमो में हिन्दू धर्मो के भगवानों को निचा दिखाने के लिए दलित नेताओ के खिलाफ कोई बोल सका है? अपनी आवाज स्वयं उठाइये वर्ना ‘जय मीम जय भीम’ सेलेक्टिव अजेंडे से आप और हमें दोनों को निगल जायेंगे।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!

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