SC/ST एक्ट में फसाये गए IIT के चार प्रोफेसर के समर्थन में उतरे प्रोफेसर व छात्र, दी सामूहिक इस्तीफे कि धमकी

आईआईटी कानपूर : एससी एसटी एक्ट के लपेटो में प्रतिष्ठित संस्थान IIT कानपूर भी आ गया है, संस्थान के ही एक प्रोफेसर ने चार प्रोफेसर के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट का बम फोड़ डाला।

जिसके बाद एक्ट में फसाये गए चार प्रोफेसर के समर्थन में पूरा आईआईटी कानपूर उतर गया. इंजीनियर के गढ़ कहे जाने वाले IIT के छात्र व प्रोफेसर एक जुट होकर संस्थान पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे है।



सोमवार सुबह छात्र व प्रोफेसर IIT-K के डायरेक्टर प्रो अभय करिंडका के घर के बाहर धरने पर बैठ गए, छात्रों व प्रोफेसर का कहना था कि चारो प्रोफेसर को झूठे केस में आरोपी बनाया गया है। IIT कानपूर के प्रोफेसर ने एक जुट होकर त्यागपत्र देने की धमकी तक दे डाली है, वही छात्रों ने क्लासें न चलने देने की बात कह कर दबाव को किलो पास्कल में पहुंचाने का जिम्मा उठाया, जिसके बाद डायरेक्टर साहब ने जरुरी कार्यवाई का आश्वाशन दिया है।

IIT धनबाद के डायरेक्टर राजीव शेखर के खिलाफ भी एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करवाया गया है।

दरअसल IIT कानपूर में इसी साल जनवरी में ऐरोस्पेस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काबिज हुए डॉ सुब्रमणियम सदरेला ने आरोप लगाया की कॉलेज के चार प्रोफेसर ने उन्हें यह कहते हुए अपमानित किया है की वह आरक्षण लेकर कॉलेज में भर्ती हुए है व उन्हें कुछ आता नहीं है।



वही उन्होंने आरोप लगाया की चारो प्रोफेसर ने साथ ही यह धमकी दी थी कि वह उनकी भर्ती को कोर्ट में चैलेंज भी करेंगे। जिस पर तमतमाए डॉक्टर सुब्रमणियम साहब ने चारो प्रोफेसर के खिलाफ FIR दर्ज करवा दी।

जिसके बाद चारो प्रोफेसर के खिलाफ Section 500 of the IPC, Section 66 of the Information Technology Act and Section B-2B (A) of the SC/ST (Prevention of Atrocities) Act के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।

सदरेला ने बताया कि उन्होंने IIT कानपूर और अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी जिसपर संज्ञान लेते हुए आयोग ने संस्थान को उचित कार्यवाई करने का आदेश जारी किया था। हालाँकि अप्रैल में चारो प्रोफेसर ने इलाहबाद हाई कोर्ट से गिरफ़्तारी को लेकर स्टे हासिल कर लिया था।

कौन है वो चार प्रोफेसर ?



प्रो संजय मित्तल, प्रो CS उपाध्याय, प्रो ईशान व IIT धनबाद के डायरेक्टर प्रो राजीव शेखर के खिलाफ FIR दर्ज करवाई गयी है। जिसपर कार्यवाई करते हुए बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स ने एक साल के लिए प्रो मित्तल को सातवा वेतन आयोग के तहत भुगतान से वंचित कर दिया है वही प्रो उपाध्याय का डिमोशन कर उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर का टैग चस्पा दिया गया है।

साथ ही बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स ने राष्ट्रपति से लिखित में इजाजत भी मांगी है कि वह IIT धनबाद के डायरेक्टर राजीव शेखर के खिलाफ कार्यवाई शुरू कर सके।

लगातार उफान मार रहे एससी एसटी एक्ट का नया मामला उच्च संस्थानों में दिखने के बाद इसके विरोधी इसे नया भाला बना सरकार कि ओर फेंक रहे है साथ ही आरक्षण को लपेटे में लेते हुए उसकी चाशनी को ही खट्टा करार दे रहे है

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