लोकसभा चुनावो में फायदा पाने हेतु मराठा आरक्षण के तहत कर रहे थे बम्पर भर्ती, हाई कोर्ट ने लगाई फटकार

महाराष्ट्र(मुंबई) : महाराष्ट्र में हाल ही में लागू हुए मराठा आरक्षण को भुनाने के मूड से लोकसभा चुनावो से पहले भाजपा सरकार ने खाली पड़े 72 हजार पदों को नई आरक्षण व्यवस्था के तौर पर भरने का मन बनाया था जिसके लिए बाकायदा सरकार की तरफ से विज्ञापन भी निकाल दिए गए थे।

वही मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैधता को हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी है जिसपर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हाई कोर्ट को जब यह पता चला की सूबे की सरकार फैसला आने से पहले ही आनन फानन में भर्तियां निकाल रही है तो उसने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगा डाली जिसके बाद सरकार द्वारा कोर्ट को भरोसा दिलाया गया कि अगली सुनवाई तक वह भर्तियां नहीं करेगी।


आपको हम बताते चले कि हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई को 23 जनवरी तक टाल दिया है जिस वजह से अब होने वाली 72 हजार पदों कि भारी भरकम भर्तियां भी अटक गई है।

सरकारी वकील वीए थोरात ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एनएच पाटिल और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ को भरोसा दिया कि राज्य सरकार 23 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई तक कोई नियुक्ति नहीं करेगी।

मालूम हो कि सरकार पहले 72 हजार पदों को दो चरणों में दो सालो में भरने वाली थी जिसका वादा पिछले बजट में फडणवीस सरकार द्वारा किया गया था।


परन्तु अब 30 आबादी वाली मराठा समुदाय के वोट कि चोट खाने के लिए सरकार ने लागु किये गए आरक्षण पर लोकसभा चुनाव कि अचार सहिंता लागु होने से पहले भर्ती का मन बना लिया था जिसके लिए विशेष वॉर रूम भी बनाया गया था।

सरकार को डर है कि कही सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किये गए 50 प्रतिशत के मानक का हवाला देते हुए कही हाई कोर्ट आरक्षण पर स्टे न थोप डाले जिस कारण से सरकार हाई कोर्ट के फैसले से पहले ही सब निपटा लेना चाह रही है।

आपको हम बताते चले कि पिछले माह ही महाराष्ट्र में सरकार ने मराठाओ को 16 प्रतिशत आरक्षण दिया था जिससे राज्य में आरक्षण 50 प्रतिशत कि सीमा लांघते हुए 68 प्रतिशत तक पहुँच गया।

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