नई दिल्ली– केन्द्र सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी के बीच मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का एक बड़ा बयान सामने आया है, बोर्ड ने समान नागरिक संहिता का विरोध जताते हुए इसे अल्पसंख्यक और संविधान विरोधी बताया हैं।
समान नागरिक संहिता कानून
समान नागरिक संहिता कानून का अर्थ है कि भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। फिर चाहे वह व्यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता कानून में शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। समान नागरिक संहिता कानून एक पंथ निरपेक्षता कानून होगा जो सभी धर्मों के लिए समान रूप से लागू होगा।
वर्षों से चली समान नागरिक संहिता कानून की मांग को लेकर केन्द्र सरकार के साथ साथ उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों द्वारा इसे जल्द लागू करने के संकेत दिए जा रहे हैं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का विरोध
वही समान नागरिक संहिता कानून के लागू होने की आहट मात्र से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसके विरोध में उतर आया है और इसे अल्पसंख्यक और संविधान विरोधी है और मुसलमानों को यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने प्रेस नोट में कहा कि उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और केन्द्र सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता का राग अलापना असामयिक बयानबाजी के अतिरिक्त कुछ नहीं है, इसका उद्देश्य बढ़ती हुई महंगाई, गिरती हुई अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना और घृणा के एजेंडे को बढ़ावा देना है।
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Kapil reports for Neo Politico Hindi.