पटना: बिहार चुनाव में एक बार फिर सत्ता में आया एनडीए गठबंधन राज्य का पहला ऐसा सत्ता रूढ़ि गठबंधन बनेगा जिसमे एक भी मुस्लमान चयनित होकर विधानसभा नहीं पहुंच सका है।
साथ ही पिछली विधानसभा के मुकाबले इस बार मुस्लिम विधायकों की संख्या में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।
आपको बता दें कि पिछली विधानसभा के 243 में से 24 विधायक मुस्लिम समुदाय से थे, वहीं 20 फीसदी गिरावट के साथ यह आंकड़ा 19 विधायकों पर सिमट गया है।
सत्तारूढ़ गठबंधन के 125 विधायकों में से एक भी मुसलमान नहीं है तो विपक्षी गठबंधन के पास भी महज 13 मुस्लिम विधायक हैं।
राजद के आठ, कांग्रेस के चार और वामदलों का एक विधायक हैं। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के सभी पांच विधायक मुसलमान हैं। इनके अलावा बीएसपी का एकमात्र विधायक मुसलमान ही है।
सवर्ण राजनेताओ की हुई चांदी, 12 फीसदी अधिक बढ़े विधायक
चुनाव जीतने वाले अगड़ी जाति के विधायकों को इस बार जनता का खूब वोट मिला है। पिछली विधानसभा से 12 फीसदी अधिक विधायकों के साथ कुल 64 सवर्ण विधायक इस बार विधानसभा गए है। जोकि पिछली दफा 52 के आंकड़े से 12 विधायक अधिक है। इनमें से एनडीए के 47 और विपक्षी गठबंधन के 17 विधायक हैं।
भाजपा के 74 विधायकों में से 33 अगड़ी जातियों से आते हैं जबकि जदयू के 43 में से नौ, विकासशील इंसान पार्टी के चार में से दो और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के चार विधायकों में एक सवर्ण जाति से हैं।
वहीं राजद के 75 में से आठ और कांग्रेस के 19 में से आठ विधायक अगड़ी जातियों से है। लोजपा, सीपीआई का एक-एक और एक निर्दलीय विधायक भी अगड़ी जाति से है।