10% GST यानी “गब्बर सिंह टैक्स” नहीं, बल्कि 10% “गरीब सवर्ण तबका” आरक्षण

नई दिल्ली : संसदीय सत्र के आखिरी दिन सरकार ने सवर्णों को खुश करने के लिए एक मास्टर स्ट्रोक खेला है | प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में 10% गरीब सवर्णों के आर्थिक आरक्षण का फैंसला लिया गया |

3 राज्य की हार के बाद उठी थी सवर्णों की रार :

सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में आर्थिक रूप से पिछड़े हुए वर्ग के लिए 10% आरक्षण दिया जाएगा | तीन राज्यों के विधान सभा में मिली हार का कारण सवर्णों की नाराजगी मानी जा रही थी | सरकार ने इसी नारजगी को कम करने के लिए चुनावी वर्ष में ये घोषणा की है |

ऐसे में सबसे विपक्ष का बड़ा सवाल ये है कि अगर सरकार वास्तव में आरक्षण और गरीबों की चिंता करती तो इस बिल को सत्र के आख़िरी दिन में क्यों पेश किया ? लोगों के बीच भी यही एक मुद्दा बन रहा है | विपक्षी पार्टियों को कहना है कि ” सरकार द्वारा जल्दीबाजी में लिया गया एक फैसला है | ”

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार इसके माध्यम से अपने हित को साधना चाहती है और इसके साथ ही 50% की सीलिंग लिमिट को भी तोड़ना चाहती है |

अबकी बारी संविधान संशोधन की पारी :

बता दे कि इससे पहले भी नरसिंहाराव सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10% आरक्षण का प्रावधान किया था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया |

और इसके साथ ही अगर सरकार संविधान को संशोधित करती है तो उसे दो तिहाई बहुमत की जरुरत पड़ेगी | सरकार इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में संशोधन करेगी |

कानून विदों के अनुसार राज्य सरकार अपने यहाँ की नौकरियों में 50% की सीलिंग पार तो कर सकती है लेकिन केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती है | अब ऐसे में देखना होगा कि सरकार की यह चुनावी चाल है या फिर असल चिंता है |

+ posts

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Previous Story

सरकार का बड़ा ऐलान : सवर्णों को मिलेगा 10% आरक्षण, इसी सत्र में पेश होगा बिल

Next Story

दक्षिण दबंग प्रकाश का बयान “अबकी बार मोदी सरकार नहीं बल्कि जनता सरकार”

Latest from स्पेशल

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, शिक्षण संस्थानों में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण को बताया असंवैधानिक

बिलासपुर– छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में 50% से अधिक आरक्षण को असंवैधानिक बताया है, हाईकोर्ट…