पूर्व SC जज मार्कंडेय काटजू ने भारत में OBC आरक्षण को बताया एक शुद्ध धोखाधड़ी

नई दिल्ली: नीट में ओबीसी को दिए जाने वाले आरक्षण पर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने पुरे के पुरे ओबीसी आरक्षण को ही एक धोखाधड़ी बता दिया है। काटजू ने एक छपे लेख में अपनी यह बाते कही है। उनके मुताबिक ओबीसी छात्रों द्वारा मेडिकल में आरक्षण की मांग जायज नहीं है।

उनके मुताबिक एससी के आरक्षण का आधार चाहे कुछ भी हो परन्तु ओबीसी आरक्षण पूर्ण रूप से शुद्ध धोखाधड़ी है। इसे समझाने के लिए उन्होंने अपने पुराने किस्से का जिक्र किया।

उन्होंने बताया कि जब वह मद्रास उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश थे तो वही नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी बंगलुरु के कार्यक्रम में गए थे जहां उनकी मुलाकात सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति बी.पी जीवन रेड्डी से हुई थी।

जस्टिस रेड्डी प्रचलित इंदिरा साहनी केस में न्यायधीश की भूमिका में रहे थे। इस केस में मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने के फैसले को वैध माना गया था।

काटजू ने बताया कि डिनर के दौरान उन्होंने उनको बताया कि ओ बी सी के लिए आरक्षण को वैध मानने का उनका फैसला सही नहीं था।

इस पर जस्टिस रेड्डी ने उनसे पूछा ऐसा क्यों? बातचीत में पूर्व जज काटजू ने बताया कि आज़ादी से पहले 1947 में ब्रिटिश शासन के तहत भारत के अधिकांश क्षेत्रों में जमींदारी व्यवस्था कायम थी। जिसके जमींदार अधिकतर उच्च जाति के लोग थे परन्तु स्वतंत्रता के बाद जमींदारी उन्मूलन अधिनियम (जैसे यूपी जमींदारी उन्मूलन अधिनियम, 1951) के द्वारा ज़मींदारी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया था।

ऐसे में वर्ष 1993 के ओबीसी के हालात वैसे नहीं थे जैसे आज़ादी से पहले थे। आरक्षण की जरुरत उन्हें आज़ादी से पहले थी अब नहीं। आगे काटजू ने तर्क रखते हुए रेड्डी को बताया कई यादव, कुर्मी आदि डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, वैज्ञानिक, शिक्षक आदि हैं, दूसरे शब्दों में, वे अब उतने पिछड़े नहीं हैं, जितने 1947 से पहले थे। यह सही है कि अभी भी कई ओ बी सी हैं जो गरीब हैं, लेकिन उच्च जातियों में भी कई गरीब हैं.

इसपर रेड्डी ने जवाब देते हुए कहा कि इन तथ्यों को मामले की सुनवाई करने वाली पीठ के समक्ष नहीं रखा गया था। उनके सामने मंडल कमीशन रिपोर्ट थी, जिसे उन्हें विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के रूप में स्वीकार करना पड़ा I

आखिर में जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि जो हुआ सो हुआ परन्तु असल में ओबीसी आरक्षण पाने के हकदार नहीं है, यह एक शुद्ध
धोखाधड़ी है।


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Why Harsh Meena is writing this piece?
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