तिरुनेलवेली: तमिलनाडु स्थित राधापुरम पुलिस थाने में वर्ष 2017 को एक वकील को परेशान करने के मामले में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरई बेंच ने डीएसपी समेत 9 पुलिस वालो पर एससी एसटी एक्ट दर्ज करने के निर्देश दिए है।
जिसके बाद CB-CID पुलिस ने एक डीएसपी, एक इंस्पेक्टर व तीन दरोगा समेत 9 पुलिस वालो पर अनुसूचित जाति व जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
आपको बता दें कि November 3, 2017 को पीड़ित द्वारा एक याचिका कोर्ट में लगाई गयी थी जिसमे पुलिस के द्वारा उसकी एक शिकायत पर कार्यवाई न करने की बात करी गयी थी। उसने इस याचिका में डीएसपी व एक इंस्पेक्टर को इसका दोषी बताया था।
पीड़ित के अनुसार कोर्ट में करी गयी शिकायत को लेकर डीएसपी व इंस्पेक्टर पीड़ित पर भड़क गए जिसके बाद वह पीड़ित को घर से उठा कर थाने ले गए। थाने ले जाकर पीड़ित को पुलिस द्वारा मारा पीटा भी गया था।
आरोप यह भी लगाए गए है कि इस दौरान पुलिस ने जातिसूचक शब्दों का भी प्रयोग किया था व गहरी मानसिक पीड़ा पहुंचाई थी। वहीं डीएसपी व अन्य पुलिसकर्मियो ने इसे झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा कि पीड़ित पेशे से वकील है इसलिए वह अपना रौब दिखाने के चक्कर में उन्हें झूठे एक्ट में फसा रहा है।
वहीं आरोपी पुलिस वालो को जाँच में न्याय मिलने का भी भरोसा है। पुलिस वालो ने बताया कि वह पूरी जाँच में पूर्ण सहयोग कर दूध का दूध व पानी का पानी करेंगे।
आपको बता दें कि पुलिस कर्मियों के खिलाफ आईपीसी की 448, 294(b), 354, 342, 355, 323, 324 and 506(ii) r/w 109 और एससी एसटी एक्ट के सेक्शन 3 (2) (VA) and 3 (2) VII के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
फिलहाल किसी भी पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी नहीं करी गयी है।
ज्ञात होकि दक्षिण भारत के राज्य में बीते दिनों पुलिसकर्मियो पर एससी एसटी एक्ट के मामले दर्ज होने में काफी बढ़ोतरी देखी गयी है। इससे पहले आँध्रप्रदेश, कर्णाटक, केरल व तमिल नाडु समेत कई राज्यों में पूरी की पूरी टीम पर ही एससी एसटी एक्ट थोपा जा चूका है।
खैर किसी भी मामले में अभी तक कोई भी पुलिस वाला दोषी नहीं पाया गया।
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Why Harsh Meena is writing this piece?
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