नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने गरीब क्षत्रियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग संसद में उठाई है।
अठावले ने संसद में कहा कि मराठा, जाट, राजपूत और ठाकुर क्रमशः महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में आरक्षण चाहते हैं। क्षत्रिय समुदाय की बड़ी आबादी है। जिस तरह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10% आरक्षण दिया गया था, उसी तरह उन्हें भी आरक्षण दिया जाना चाहिए।
यही नहीं अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण मिलना चाहिए। साथ ही, रामदास आठवले ने मांग की है कि 2021 की जनगणना जाति के आधार पर की जानी चाहिए।
सर्वदलीय बैठक में भी उठाया था मुद्दा:
गौरतलब है कि संसद के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार 30 जनवरी को हुई सर्वदलीय बैठक में एनडीए के सहयोगी और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कई मांगें उठाई थी। उन्होंने मराठा समाज की तर्ज पर पूरे देश में गरीब क्षत्रिय समाज के लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण देने के साथ अनुसूचित वर्ग के लिए अलग विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी।
पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदास अठावले ने जातिगत गणना, प्रमोशन में आरक्षण जैसे विषयों पर संसद में चर्चा कर पास करने की मांग की थी।
मराठा आरक्षण पर अंतिम सुनवाई:
इस बीच, मराठा आरक्षण की अंतिम सुनवाई 8 मार्च से शुरू होगी। महाराष्ट्र सरकार ने मांग की है कि मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम फैसला दिया है।