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पाकिस्तान में इस साल 1000 हिन्दू लड़कियों का जबरन हुआ धर्म परिवर्तन, 42 हुई जून में: रिपोर्ट

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन करने के सिलसिले रुकने का नाम नहीं ले रहे है। हाल ही में आई ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ़ पाकिस्तान (HRCP) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हर साल कम से कम 1000 गैर मुस्लिम लड़कियों का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है जिसमे सबसे अधिक संख्या हिन्दू लड़कियों की है।

इनमे से अधिक लड़किया सिंध से होती है जहां करीब 80 लाख हिन्दू रहते है। पाकिस्तान में चल रहे इस जबरन धर्म परिवर्तन खेल पर अमेरिकी संस्था USCIRF ने कई बार अपनी चिंताए जाहिर की थी जिसके बाद वर्ष 2020 में उसने पाक को कन्ट्रीज ऑफ़ पर्टिकुलर कंसर्न की लिस्ट में डालते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति से सैंक्शन लगाने का अनुरोध किया था ।

पिछले हफ्ते 7 गैर मुस्लिम लड़कियों का कराया जबरन धर्म परिवर्तन
पाकिस्तान में हिन्दुओ व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों का शोषण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जून के दूसरे हफ्ते में ही 7 लड़कियों को जबरन इस्लाम धर्म में परिवर्तित किया गया था जिसमे से 4 हिन्दू कन्या भी शामिल थी।

कोरोना संकट में जहां विश्व के सभी देश इस बीमारी से छुटकारा पाने के तौर तरीके ढूंढ रहे है तो वहीं पाकिस्तान अभी भी अल्पसंख्यकों को जबरन इस्लाम काबुल करवाने में लगा है।

जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर वैश्विक पटल पर घिरे पाकिस्तान दो बार जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए बिल पास चूका है मगर मौलानाओ की धमकियों के आगे उसे वापस ले लिया गया था।

वर्ष 2016 व फिर 2019 में पेश हुए बिल पर धर्म परिवर्तन की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तय करने पर मुस्लिम धर्म गुरुओ का आक्रोश देखने को मिला था।

बिल में 18 वर्ष से पहले किसी के धर्म परिवर्तन करने पर जेल भेजने का प्रावधान व जिसका धर्म परिवर्तन हुआ है उसे 21 दिनों तक सुरक्षित स्थान पर रहकर अपना फैसला सोचने का प्रावधान किया गया था ताकि जबरन धर्म परिवर्तन से बचा जा सके।

हालाँकि इस बिल को सिंध के गवर्नर ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। गवर्नर सईदुज़्ज़मां सिद्दीकी ने तर्क देते हुए कहा कि “जब हज़रत अली ( शिया के पहले इमाम) 9 वर्ष की उम्र में धर्म परिवर्तन कर सकते है तो कोई हिन्दू लड़की क्यों नहीं ?

आपको बता दे कि इसी तरह का कुतर्क शादी की न्यूनतम आयु को तय करने में दिया जाता है।

पाकिस्तान के मुस्लिम संगठन कौंसिल ऑफ़ इस्लामिक आइडियोलॉजी ने शादी की न्यूनतम आयु सीमा तय करने के विरोध में दलील दी थी कि जब प्रोफेट मोहम्मद 6 साल की आइशा से शादी कर सकते है तो न्यूनतम आयु सीमा का कोई आधार नहीं होना चाहिए।


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Why Aarushi Kapoor is writing this piece?

Aarushi Kapoor is a student of journalism at the University of Delhi. She has a very keen interest in National politics and a knack over liberals and left-oriented politics. Moreover, She loves right because right is always right!

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