नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद पर दिए बयान में सुप्रीम कोर्ट में स्वरा भास्कर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के समक्ष एक याचिका दायर की गई है, जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है।
याचिका में राम मंदिर फैसले को लेकर बाबरी मस्जिद पर टिप्पणियों को आधार बनाते हुए आरोप लगाया गया है कि स्वरा भास्कर ने फरवरी 2020 में मुंबई में “सांप्रदायिकता के खिलाफ कलाकार” के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि था “अदालत निश्चित नहीं हैं कि वो संविधान में यकीन करती हैं”।
याचिका के अनुसार, स्वरा ने कहा था कि “हम एक ऐसे देश में रह रहे हैं जहां सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गैरकानूनी था और उसी फैसले में मस्जिद को गिराने वाले लोगों को पुरस्कृत किया गया”।
याचिका के द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि उनके बयान न केवल “प्रचार का सस्ता स्टंट” थे, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ जनता को विद्रोह करने के लिए एक जानबूझकर प्रयास भी थे।
Petition filed before Attorney General of India seeking consent to initiate contempt proceedings against Swara Bhaskar @ReallySwara alleging that she scandalized the court by saying “courts are not sure if they believe in constitution” at a meeting in Mumbai in February 2020.
— Live Law (@LiveLawIndia) August 17, 2020
एडवोकेट उषा शेट्टी, अनुज सक्सेना, प्रकाश शर्मा और महेश माहेश्वरी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि “कथित विचारक बयान माननीय न्यायालय की कार्यवाही और सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों की अखंडता के संबंध में जनता के बीच अविश्वास की भावना को उकसाने का इरादा रखता है।”
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