उज्जैन: उज्जैन में एक व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण शमशान घाट के संचालको ने बिना अनुमति शव के अंतिम संस्कार के लिए मना कर दिया गया। जिसको पत्रिका व ज़ी न्यूज़ जैसे बड़े मीडिया संस्थानों ने जातिवाद से जोड़ते हुए शव को जलाने के झूठे आरोप लगा डाले।
घटना उज्जैन जिले के महिदपुर में जमालपुरा टोडी की है जहां के रहने वाले जगदीश परमार देवास में भर्ती थे व उनका अचानक निधन हो गया था। निधन के बाद परिजन शव को लेकर सत्या शमशान घाट पहुंचे जहां के संचालक ने पहले डीएम की परमिसन लाने का आग्रह किया।
वहीं आग्रह के इतर परिजनो ने भीम आर्मी को मौके पर बुला लिया जिसपर भीम आर्मी ने इसे दलित व जातिवाद से जोड़ते हुए बेफिजूल की हवा देनी शुरू कर दी। प्रदेश प्रवक्ता राजेश वर्षी व नागूलाल मालवीय के नेत्तृत्व में भीम आर्मी द्वारा मौके पर खूब बवाल काटा गया। जिसके बाद दबाव में भीम आर्मी द्वारा संचालक प्रकाश दुबे के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत FIR दर्ज करा दी गयी।
संचालक का कसूर इतना था कि वह डीएम द्वारा जारी की गयी गाइड लाइन्स को फॉलो करने में लगा था।
वहीं मृतक के बेटे विमल ने बताया कि शव का देर रात शिप्रा नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया गया। साथ ही पुलिस द्वारा रिपोर्ट नहीं लिखने पर देर रात भीम आर्मी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता थाने पहुंचे।
जिसके बाद पुलिस ने मामले का संज्ञान लेते हुए सत्या शमशान घाट के संचालक प्रकाश दूबे के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर लिया है।
उज्जैन पुलिस ने बताया मृतक कोरोना पॉजिटिव था इसलिए मना किया गया
स्थानीय पुलिस के मुताबिक मृतक कोरोना पॉजिटिव था जिसके अंतिम संस्कार के लिए डीएम के परमिसन की जरुरत पड़ती है। जाँच में पाया गया कि उन्हें परमिसन लाने को कहा गया था व बस जगह खाली होने के बाद दाह संस्कार करने के लिए कहा था।
पत्रिका ने छापा “मौत के बाद भी जातिवाद से नहीं मिली मुक्ति”
मामले में पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में इसे दलित एंगल से जोड़ते हुए लिखा कि मौत के बाद भी जातिवाद से उन्हें मुक्ति नहीं मिली। इतने गंभीर मामलो में भी एक तरफा रिपोर्टिंग करना किस हद उचित है।
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