नई दिल्ली : लम्बे समय से चल रही आर्थिक आधार की मांग को पूरा करते हुए मोदी सरकार गरीब सामान्य वर्ग के लिए बिल लेकर आ गई है। 8 लाख से कम आय वाले सामान्य वर्ग के लोग इसके दायरे में आएंगे पर चुनाव से ठीक 2 महीने बिल लाने पर विपक्षी पार्टिया सरकार की टांग खींचने में लगी हुई है।
अगर यह बिल राज्य सभा में बिना अटके पास हो जाता है तो भी इसकी राह आसान रहने वाली नहीं है जिसको लेकर कई बड़े बड़े क़ानूनी जानकार अपनी राय रख चुके है।
आपको बता दे की इससे पहले भी नर सिम्हा सरकार ने भी सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आर्थिक आरक्षण का प्रावधान किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया वही सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा भी तय करते हुए आदेश दिया था अगर किसी भी प्रकार का आरक्षण इस तय सीमा से ऊपर जाता है तो वह असवैंधानिक होगा।
वही दूसरी और ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान व आर्थिक आरक्षण की पक्षधर युथ फॉर इक्वलिटी ने आर्थिक आरक्षण का तो स्वागत किया है परन्तु इसे तय 50 प्रतिशत सीमा के अंदर न रखने से इसे एक लॉलीपॉप है करार दिया है।
युथ फॉर इक्वलिटी के अध्यक्ष ने फलाना दिखाना से खास बातचीत में बताया की “आर्थिक आरक्षण सभी के लिए लागु किया जाना चाहिए अगर सवर्णों के लिए यह लागु किया जाता है तो यह सभी अन्य आरक्षणों में भी लागु हो और 50 प्रतिशत के दायरे में रहे ताकि मेरिट और टैलेंट को एक बार फिर न मौत के घाट उतरना पड़े”।
आगे डॉ साहब ने हमें बताया की “युथ फॉर इक्वलिटी जातिगत आरक्षण के विरोध में इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करेगी और जातिविहीन आरक्षण के लिए अपनी लड़ाई युद्धस्तर पर शुरू करेगी जिसके लिए YFE ने मिशन 2020 की शुरुआत की है जिसमे देश भर को जातिगत नीतियों व आरक्षण के खिलाफ एक किया जायेगा और जातियों को खत्म करने का आर या पार आंदोलन किया जायेगा” ।
- 60 प्रतिशत हो जायेगा आरक्षण, डर है की एक बार 50 प्रतिशत की तय सीमा टूटी तो कही पार्टी अपने फायदे के लिए इसे 100 प्रतिशत तक न बढ़ा दे
अभी तो यह काफी लोगो को सरकार का सही कदम लग रहा है पर जानकार मान रहे है की इससे जाति के नाम पर राजनीती कर रही पार्टिया अपने फायदे के लिए इसे आगे बढ़ा सकती है जैसा आज मायावती और RJD ने एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को बढ़ाने की बाते करी है ।
2. वही टैलेंट के एक बार फिर शूली पर चढ़ने और कुर्बान होने का डर भी है।
नहीं है सवर्ण आरक्षण, हर धर्म का गरीब आता है इसके दायरे में आपको हम बताते चले कि यह आरक्षण किसी एक विशेष जाति के लिए नहीं है जैसा अभी तक दिया जाता आया है इसमें हर धर्म चाहे वह मुस्लिम हो, हिन्दू हो, क्रिस्चियन हो, सिख हो या बौद्ध हो ।
अभी तक हासिल हुए आंकड़ों में भी यह खुल कर सामने आया है कि इसका सबसे अधिक फायदा अल्पसंख्यकों को होने जा रहा है जिससे अल्पसंख्यकों कि हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सकती है और उन्हें भी फायदा मिलेगा।