डीयू से दलित ऑथर कि बाहर कि गई तीन किताबे, हिन्दू मान्यताओं पर कसा था तंज

नई दिल्ली : हाल ही में दिल्ली विश्विद्यालय द्वारा बहुजन विचारक कांचा आइलैया की तीन प्रमुख किताबो को विश्विद्यालय के कोर्स से बहार कर दिया गया था जिसकी कई बहुजन विचारको ने एक सुर में कड़ी आलोचना की थी।

डीयू की अकादमिक मामलों की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा पिछले माह आइलैया की किताबो को यह कहते हुए कोर्स से बाहर फेंक दिया था कि यह किताबे हिन्दू मान्यताओं के खिलाफ है और समाज में द्वेष पैदा कर रही है।

दिल्ली विश्विद्यालय के इस कदम पर आइलैया ने तीखी टिप्पड़ी करते हुए कहा की “विश्विद्यालय में स्लेबस को बनाने के लिए कोई आजादी नहीं है”।

आपको हम बताते चले की आइलैया की जो तीन किताबो को बाहर का रास्ता दिखाया गया है वो है :
1) ‘Why I am not a Hindu’
2) ‘Post Hindu india
3) ‘God as Political Philosopher’

‘God as Political Philosopher’ में आइलैया ने ब्राह्मणवाद पर वार करते हुए कई विवादित शब्दों का प्रयोग किया है। ‘Post-Hindu India’ में आइलैया ने हिन्दुत्त्व मुक्त भारत की बात कि है, वही ‘Why I am not a Hindu’ में प्रोफेसर आइलैया ने वो स्वयं हिन्दू क्यों नहीं है उस पर विवादित तौर पर टिप्पड़ियाँ कि है ।

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आप इन पुस्तकों को ऊपर दिए गए नामों पर क्लिक करके खरीद भी सकते है, दरअसल ये तीनों किताबे डीयू में पिछले कई सालो से पढाई जा रही थी जिसका कई बार विरोध वहाँ पर पढ़ने वाले हिन्दू छात्र करते आये थे।

वही आरक्षण व्यवस्था पर वार करते हुए प्रोफेसर कांचा आइलैया शेफर्ड ने कहा की “जब तक जाति व्यवस्था इस देश में रहेगी तब तक आरक्षण भी रहेगा”।

फॉरवर्ड प्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा की यदि जाति व्यवस्था को खत्म कर दिया जाए, तो आरक्षण की आवश्यकता केवल 30 वर्षों तक होगी।

आगे आइलैया शेफर्ड कहते है की दलितों की आबादी सिर्फ 16 प्रतिशत ही है इसलिए हमें मराठा, जाठ, गुर्जर और पटेलों को साथ लेकर चलना होगा और इन्हे आरक्षण दिलाने के लिए इनका साथ देना होगा ताकि हम आरक्षण विरोधियो का मिल कर सामना कर सके।

वही उन्होंने यह भी साफ़ किया की आरक्षण विरोधी कोई भी मौका नहीं चूकना चाहते है वह चाहते है की इनमे फुट डालो और आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर दो जोकि जब तक संभव नहीं है जब तक जातियाँ है ।

आगे जब आइलैया से यह प्रश्न पूछा गया की क्या आपके पास कोई योजना है तो उन्होंने कहा की “देश में यूरोप की तर्ज पर शिक्षा व्यवस्था लागू करनी चाहिए जिससे खुद ब खुद ऊंच नीच की खाई समाप्त हो जाएगी।

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