इसरो का GSAT-11 लांच, नहीं कहना पड़ेगा “यार सिग्नल मूड खराब कर रहा है”

बेंगलुरु : अभी भी देश की एक बड़ी आबादी दूर-दराज़ के गांवों में बसती है, वैसे भारत को गांवों का देश ही कहा जाता है | देश के मजदूर, किसान व गृहणियों का भी जीवन तकनीकी के साथ बदल रहा है लेकिन अभी भी कुछ बहुत दूर दराज़ के इलाकें हैं जहां इंटरनेट की स्पीड तेज नहीं है | हालांकि अब इसरो से उनके लिए बहुत बड़ी खुशखबरी आ चुकी है |

सेटलाइट लांच से गांवों में भी 1 क्लिक पर दनादन इंटरनेट : 

दूर दराज के इलाकों में तकनीकी के बारें में अक्सर हम बातें सुनते थे ” अरे यार सिग्नल नहीं आ रहा, मूड खराब हो रहा है ” | लेकिन इसरो के नए लांच से अब मोबाइल व टीवी के झिकझिक वाले सिग्नल से छुट्टी होने वाली है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्थान यानी इसरो नें बुधवार तड़के 2:07 बजे फ्रेंच गुयाना से GSAT-11 को लांच किया है |

यह सेटलाइट इसरो का अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा व वजनी सेटलाइट है इसका वजन 5854 किलोग्राम था | यह लांचिंग के बाद 33 मिनट की उड़ान भरके अपने कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंच गया |

इसका उद्देश्य है कि दूर के इलाकों में इंटरनेट संपर्क को बढ़ाना, जिससे ” भारत नेट ” के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायतों में डिजिटल इंडिया के तहत ई-बैंकिंग, ई-गवर्नेंस व ई-स्वास्थ्य जैसी जनकल्याण वाली योजनाएं ग्रामीणों तक पहुंच सके |

GSAT-11 के साथ इसरो की ताबड़तोड़ लांचिंग :

एरियन स्पेस रॉकेट से लांच हुए GSAT-11 सेटलाइट की कई खासयित हैं, यह तकनीकी रूप से बहुत एडवांस होने के साथ तकनीकी से भी लैस है | इसकी सीमा 15 साल की है जो देश के पहाड़ी, दूरस्थ, व ग्रामीण इलाकों में 100 MBPS से अधिक की स्पीड का सिग्नल देगा |

GSAT -11 features

हालांकि पिछले 21 दिनों में इसरो नें GSAT-11 के अलावा Hysis सहित 3 सेटलाइट व 2 लांच व्हीकल अंतरिक्ष में उतारे है | इसकी कीमत 600 करोड़ है, जो देश में संचार सुविधाएँ को बढ़ाए के लिए चालू गई सीरीज का तीसरा भाग है |

इसरो की इस सफलता पर इसके अध्यक्ष डा. के सिवन नें भी अपने साथियों को बधाई दिया उनके अलावा पीएम नें भी कहा कि ” इस एडवांस सेटलाइट से देश के करोड़ो लोगों के जीवन में बदलाव आएगा ” |

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