नई दिल्ली :- 2006 में कांग्रेस कि मनमोहन सरकार निजी क्षेत्रों में आरक्षण लागू करने के लिए संसद में एक बिल लायी थी, जोकि कोर्ट ने उस समय रोक दिया था। मोदी सरकार अब उसी बिल को लागू करने कि बात कर रही है।
कभी निजी क्षेत्र में आरक्षण का विरोध करने वाली बीजेपी सरकार अब निजी क्षेत्र में आरक्षण कि कवायद खुद ही कर रही है और वह उसे संसद के बजट सत्र में पेश करेगी और यह फैसला 1 जुलाई 2019 से लागू हो जायेगा।
2006 में 93 वे संविधान संसोधन करके सरकार ने निजी क्षेत्रों के संस्थानों में आरक्षण लागू करने का प्रावधान बनाया था | उस समय “यूथ फॉर इक्वलिटी” नामक संगठन ने इसका पुरे देश में विरोध किया था और यह उस समय का एक बहुत बड़ा आंदोलन था जिसमे AIIMS,IIT,JNU जैसे प्रुमख संस्थानों के युवा छात्र शामिल थे ।
वर्ष 2008 में अशोक ठाकुर बनाम भारतीय संघ केस में सुप्रीम कोर्ट ने निजी क्षेत्रों के आरक्षण पर रोक लगा दिया था और वर्त्तमान समय में भी ये विचराधीन है | वर्ष 2011 में सुधा ठाकुर बनाम भारतीय संघ में इलाहबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के निजी क्षेत्रों में आरक्षण के प्रावधान को निरस्त कर दिया था।
भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों में निजी क्षेत्र की 70% तक हिस्सेदारी है और यह आंकड़ा उन क्षेत्रों में और भी अधिक बढ़ जाता है जहाँ सरकारी संस्थानों की संख्या बहुत कम है।
शिवम का कहना है कि “वह इस निजी आरक्षण का विरोध करेंगे और यूथ फॉर इक्वलिटी इस फैसले का पुरे देश में विरोध करेगी। शिवम ने आगे कहा कि “कोर्ट ने पहले भी निजी क्षेत्र में आरक्षण को निराधार बताया था और वह इस बार भी कोर्ट का रुख करेंगे क्योंकि यह संविधान कि मूल भावना का हनन करता है।