महोबा: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में दो वर्ष पूर्व एससी एसटी एक्ट के तहत लगाए गए रेप केस को कोर्ट ने फर्जी पाया है। महत्त्वपूर्ण निर्णय में निर्दोष आरोपी को रिहा करते हुए विशेष न्यायधीश एससी एसटी कोर्ट संतोष कुमार ने पीड़िता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए है।
दरअसल जिले के ग्राम पंचमपुरा निवासी जीतेन्द्र प्रजापति को गाँव की ही एक महिला ने जातिसूचक शब्द कहते हुए दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। महिला के पति सियाराम अहिरवार ने थाने में तहरीर देते हुए कहा था कि 20 फ़रवरी 2019 को शाम करीब 7 बजे जब वह शौच के लिए बाहर गया था तभी जीतेन्द्र पीछे से उसके घर में कट्टा लेकर घुस गया।
जीतेन्द्र ने महिला के मुंह में कट्टा डालकर उसके साथ जातिसूचक शब्द कहते हुए दुष्कर्म किया। जिसको शौच से आने के बाद उसकी पत्नी ने उसे बताया था।
सियाराम की तहरीर के आधार पर पुलिस ने रेप सहित कई आपराधिक धाराओं व एससी एसटी एक्ट के तहत जीतेन्द्र कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने विवेचना करते हुए जीतेन्द्र के खिलाफ अपर्याप्त सबूतों के बावजूद कोर्ट में रेप व एससी एसटी एक्ट लगाए जाने का आरोप पत्र प्रेषित किया था।
हालाँकि कोर्ट ने पाया कि जीतेन्द्र गाँव से कोसो दूर इलाहबाद में नौकरी करता था व घटना के दिन गाँव में मौजूद नहीं था। साथ ही बाद में पीड़िता भी अपने साथ हुए दुष्कर्म के बयान से पलट गई थी।
सभी सबूतों व तथ्यों को देखते हुए न्यायलय ने पाया कि पीड़िता पक्ष ने जीतेन्द्र प्रजापति को झूठे रेप केस में फसाया था। दोनों पक्षों के मध्य आपसी रंजिश चल रही थी। अपने आदेश में न्यायधीश संतोष कुमार ने जीतेन्द्र कुमार को निर्दोष करार देते हुए पीड़िता पक्ष को गलत तथ्य देने के लिए धारा 344 में दोषी माना है। न्यायलय ने सियाराम अहिरवार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने व दण्डित करने के लिए नोटिस जारी करने की बाते कही है।
एससी एसटी एक्ट में मिलने वाली राशि के लालच में लगाया था झूठा केस
एससी एसटी एक्ट में मिलने वाली मोटी रकम को देखते हुए सियाराम अहिरवार ने जीतेन्द्र प्रजापति पर झूठा मुकदमा कायम कराया था। वहीं पुलिस की विवेचना पर भी सवाल उठने लगे है। पुलिस ने अपनी विवेचना में आरोपों को सही पाते हुए न्यायलय में आरोपी के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था।